Patna Desk: देश पिछले साल कोविड 19 की पहली लहर से प्रभावी ढंग से निपटने में कामयाब रहा, मगर अब महामारी की दूसरी लहर के खिलाफ एक कठिन लड़ाई का सामना करना पड़ रहा है.
दूसरी लहर में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं चरमरा गईं और हालात इतने बिगड़ गए कि मरीजों के लिए बेड तो छोड़िए ऑक्सीजन और दवाई तक कम पड़ गईं. कोरोना के दौरान धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टरों की भी अग्निपरीक्षा हुई. मगर ये भी कोरोना की दूसरी लहर में कम प्रभावित नहीं हुए हैं. आम नागरिकों की जान बचा रहे डॉक्टर हर दिन दूसरी लहर में अपनी जान गवां रहे हैं.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने मंगलवार को कहा कि देश में अब तक कोरोनोवायरस संक्रमण की दूसरी लहर में कम से कम 594 डॉक्टरों की मौत हो गई है, जिसमें 107 ऐसी मौतें दिल्ली में हुई हैं.
आईएमए के राज्यवार आंकड़े बताते हैं कि कोविड-19 की दूसरी लहर में मरने वाले लगभग हर दूसरे डॉक्टर की या तो दिल्ली, बिहार या उत्तर प्रदेश में मौत हुई. दूसरी लहर में मरने वाले डॉक्टरों में इन तीनों राज्यों की हिस्सेदारी करीब 45 फीसदी है.
कुल मिलाकर, आईएमए ने कहा कि पिछले साल महामारी शुरू होने के बाद से कोविड -19 से लड़ते हुए लगभग 1,300 डॉक्टरों की मौत हो गई है. इस बीच, बाबा रामदेव पर निशाना साधते हुए, आईएमए ने कड़े शब्दों में कहा कि उन्होंने कोविड-19 महामारी को रोकने के सरकार के प्रयासों को एक अपूरणीय क्षति पहुंचाई है. आईएमए ने कहा कि बाबा रामदेव ने कोविड -19 प्रोटोकॉल और टीकों के बारे में लोगों में भ्रम पैदा किया है.
बता दें कि बाबा रामदेव ने पिछले दिनों कहा था कि डॉक्टर्स की दवाएं काम नहीं कर रही हैं, लाखों लोगों की मौत एलोपैथी की दवा से हुई है. उनके इस बयान पर बवाल मचा तो इंडियन मेडिकल एसोसिएशन यानी आईएमए बाबा के खिलाफ खड़ी हो गई और रामदेव के खिलाफ आईएमए के महासचिव डॉ. जयेश लेले ने शिकायत दर्ज करवा दी.