कोरोना की आर्थिक मार, निजी विद्यालय संचालकों ने लगायी प्रशासन से गुहार

Sanjeev Shrivastava


संतोष कुमार गुप्ता, लखीसराय
लखीसराय: कोरोना काल में सभी तरह की शैक्षणिक संस्थानें बंद हैं। कोचिग एवं कंप्यूटर सेंटर के संचालकों के बाद अब निजी विद्यालय के संचालकों ने भी सरकार और प्रशासन से गुहार लगाई है। आर्थिक तंगी से जूझ रहे निजी विद्यालय के संचालकों ने सरकार से आर्थिक मदद करने और जुलाई से सातवीं कक्षा से ऊपर के कक्षा की पढ़ाई शुरू करने की गुहार लगाई है।

एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष शमायल अहमद की अगुवाई में 28 राज्यों, आठ केंद्र शासित प्रदेशों 739 जिलों के दो लाख निजी विद्यालय के संचालक एवं 20 लाख शिक्षक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कोरोना काल में आर्थिक तंगी से जूझ रहे निजी विद्यालयों की समस्या से अवगत कराया। प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन, लखीसराय के पदाधिकारियों ने मंगलवार को संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपने दर्द को मीडिया के साथ साझा किया।

एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में एसोसिएशन के अध्यक्ष धर्मेन्द्र कुमार ने कहा कि गत मार्च से विद्यालय बंद रहने से फीस नहीं आ रही है। इस कारण जिले के हजारों शिक्षक व कर्मी आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। विद्यालय प्रबंधन एवं शिक्षक मानसिक तनाव और पीड़ा से गुजर रहे हैं। एसोसिएशन मांग करता है कि निजी विद्यालयों में प्रति छात्र पर होने वाले खर्च के अनुसार सरकार आर्थिक अनुदान के लिए फंड उपलब्ध कराए।

जिला सचिव ने कहा कि कोरोना काल में अभिभावकों से कोई फीस नहीं ली जाए। इसके लिए सरकार को निजी विद्यालयों के लिए आर्थिक अनुदान की घोषणा करनी चाहिए। लखीसराय जैसे पिछड़े जिले में 90 फीसद निजी विद्यालय किराए के मकान में संचालित हैं। तीन महीने से विद्यालय बंद रहने और फीस नहीं मिलने के कारण प्रबंधन मकान मालिक को किराया देने में असमर्थ है। मकान मालिक का भी काफी दबाव है। ऐसे में हम देश के प्रधानमंत्री और बिहार के मुख्यमंत्री से मांग करते हैं कि वह इससे निजात दिलाएं।

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