सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा गया है कि बिहार में कोरोना की स्थिति भयावह है और कोरोना महामारी से निपटने के लिए बिहार का हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर नाकाफी है, ऐसे में केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाना चाहिए कि वह बिहार सरकार को सहयोग करे ताकि कोरोना से निपटा जा सके।
सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल फाइल की गई है और आरोप लगाया गया है कि बिहार सरकार कोरोना महामारी के दौरान राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन का इस्तेमाल करने में विफल रही है। लॉकडाउन 25 मार्च से हुआ था और इस दौरान हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर आदि को दुरुस्त किया जाना था। बिहार में हेल्थ सिस्टम पहले से खास्ता हाल में था और कोरोना महामारी के कारण उस पर और बोझ पड़ा।
पटना के बिजनेशमैन आदित्य जालान ने अर्जी में कहा है कि बिहार की स्थिति बेहद खराब है। उनके वकील रोशन संथालिया ने कहा कि पब्लिक हेल्थ सिस्टम पूरी तरह से ध्वस्त है और ऐसे में स्थिति को संभालने के लिए बड़े कदम उठाने की जरूरत है। बिहार में कोरोना महामारी से निपटने के लिए क्वारंटीन सेंटर और अस्पताल में सुविधाओं का अभाव है। बिहार के अस्पतालों में बेड की कमी है। क्वारंटीन सेंटर में सुविधाएं नहीं है और मेडिकल स्टाफ की कमी है। टेस्ट पर्याप्त नहीं हो रहे हैं। सरकार फ्रंटलाइन मेडिकल हेल्थ वर्करों को प्रोटेक्टिव उपकरण नहीं दे पा रही है।
पहले से खास्ताहाल बिहार की हेल्थ व्यवस्था में कोरोना महामारी ने उसे बदतर कर दिया है। बिहार में लॉकडाउन के दौरान देश भर के लाखों मजदूर लौटे थे। और फिर जुलाई से बिहार बाढ से जूझ रहा है। बिहार में कोरोना पॉजिटिव केसों में भारी इजाफा हुआ है। कोरोना केस बाढ़ के कारण और तेजी से फैल रहा है। बिहार में 50 फीसदी डॉक्टरों की सीट खाली पड़ी है। मेडिकल स्टाफ की कमी है और इस कारण कोरोना महामारी के दौर पर स्थिति संभालने के लिए स्टाफ की संख्या नाकाफी है।