बिहार की राजनीति इन दिनों चरम पर है। 20 नवंबर को नई सरकार का शपथ ग्रहण होना है, और पटना के गांधी मैदान में तैयारियाँ तेज़ी से पूरी की जा रही हैं।जहाँ पटना में मंच सजाया जा रहा है, वहीं दिल्ली में आज बीजेपी और एनडीए विधायक दल की महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है। पार्टी की शीर्ष नेतृत्व इस बैठक में शामिल होगी। एनडीए की बड़ी जीत के बाद सहयोगी दलों के बीच मंत्री पदों को लेकर प्राथमिक बातचीत हो चुकी है, लेकिन सबसे कठिन मामला अब बीजेपी के अपने कोटे के मंत्रियों और खासकर उपमुख्यमंत्री पद को लेकर बन गया है।
यह बैठक नई सरकार की रूपरेखा को अंतिम रूप दे सकती है
दो डिप्टी सीएम बनाए जाएंगे या नहीं, 36 सदस्यों वाली मंत्रिमंडल सूची कैसी होगी—सब कुछ इसी बैठक में तय होने की उम्मीद है। बीजेपी के अंदर इस बार एक महिला और एक अतिपिछड़े वर्ग से उपमुख्यमंत्री बनाए जाने की चर्चा जोर पकड़ रही है। मौजूदा डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा की दोबारा वापसी को लेकर पार्टी में अलग-अलग राय सामने आ रही है। विजय सिन्हा के संघ मुख्यालय में जाकर वरिष्ठ पदाधिकारियों से मुलाकात ने राजनीतिक गलियारों में नई अटकलें बढ़ा दी हैं, जबकि सम्राट चौधरी लगातार नीतीश कुमार और पार्टी नेतृत्व के साथ सक्रिय तालमेल में दिख रहे हैं।
स्पष्ट संकेत यह है कि 19 नवंबर की विधायक दल की बैठक ही अंतिम फैसला करेगी—कौन उपमुख्यमंत्री बनेगा और बीजेपी विधायक दल का नेता कौन होगा
उधर सोमवार को नीतीश कुमार ने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से मिलकर विधानसभा भंग करने की अनुशंसा सौंपी। उसी दिन हुई अंतिम कैबिनेट बैठक में भी 19 नवंबर को विधानसभा भंग करने का प्रस्ताव पारित किया गया।
केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने बताया कि नई कैबिनेट में 35–36 मंत्री रहेंगे—जिसमें 16 भाजपा, 15 जदयू, 3 LJP(रा), और हम व RLSP से एक-एक मंत्री शामिल होंगे। शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी तय मानी जा रही है।
2025 के चुनाव में भले ही बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी हो, लेकिन सत्ता में नीतीश कुमार और जदयू की भूमिका एक बार फिर बेहद मजबूत दिख रही है–
सूत्रों का कहना है कि नीतीश के साथ करीब 18 मंत्री शपथ ले सकते हैं।
डिप्टी सीएम पद की दौड़ में सम्राट चौधरी, मंगल पांडे और रामकृपाल यादव के नाम सबसे आगे बताए जा रहे हैं। वहीं एलजेपी(रा) भी एक डिप्टी सीएम पद को लेकर अंदर ही अंदर अपनी दावेदारी दर्ज करा रही है।
पिछली सरकार में जदयू से जुड़े 13 मंत्रियों में से लगभग 10 की वापसी तय मानी जा रही है।
कुल मिलाकर, बिहार की राजनीति इस समय ऐसे मोड़ पर है जहाँ हर कदम बड़ा दांव है और हर निर्णय पूरे राज्य की राजनीतिक दिशा तय करेगा।