कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर जारी विवादों के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि भारत में पहली बार मिले कोरोना वायरस के B.1.617.2 वेरिएंट को डेल्टा (Delta) के नाम से जाना जाएगा तो यहां मिले एक अन्य वेरिएंट B.1.617.1 को कप्पा नाम से जाना जाएगा. कोरोना के इन स्वरूपों की पहचान सबसे पहले अक्टूबर 2020 में भारत में हुई थी.
WHO ने ग्रीक एल्फाबेट्स के आधार पर दुनिया के दूसरे देशों में मिले वेरिएंट्स का भी नामकरण किया है. यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब कोरोना के अलग-अलग वेरिएंट को देशों के नाम के साथ जोड़ने को लेकर विवाद हो रहा था. B.1.617.2 वेरिएंट को इंडियन कहे जाने पर भारत सरकार ने कड़ी आपत्ति जाहिर की थी. ऐसा SARS-CoV-2 के मुख्य वैरिएंट्स को आसानी से याद रखने के लिहाज से किया गया है.
डेल्टा वेरिएंट यानी B.1.617.2 को भारत में संक्रमण की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार मान जा रहा है. वायरस का यह स्वरूप मूल वायरस से कहीं अधिक संक्रामक पाया गया है. भारत के बाद दुनिया के कई देशों में इसकी मौजूदगी पाई गई है और WHO इसे चिंता बढ़ाने वाला वेरिएंट बता चुका है.
कोरोना के इन वैरिएंट्स का नामकरण
ब्रिटेन में साल 2020 के सितंबर महीने में मिले वैरिएंट का नाम ‘अल्फा’ रखा गया है जबकि साउथ अफ्रीका में मिले वैरिएंट को ‘बीटा’ नाम से जाना जाएगा. WHO ने पिछले साल नवंबर में ब्राजील में मिले वैरिएंट को ‘गामा’ नाम दिया है. इसके अलावा अमेरिका में मिले वैरिएंट का नाम ‘एप्सिलॉन’ जबकि फिलीपींस में इस साल जनवरी में मिले स्ट्रेन का नाम ‘थीटा’ रखा गया है.
WHO ने सोमवार को कहा कि कोविड वैरिएंट के ये नए नाम मौजूदा वैज्ञानिक नामों में परिवर्तन नहीं करेंगे. वे नाम पहले की तरह ही भविष्य के भी वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए प्रयोग किए जाते रहेंगे. दरअसल, वैज्ञानिक नाम पूरी दुनिया में एक ही होता है जो उसकी विशेषताओं के आधार पर रखे जाते हैं.
डेल्टा सबसे ज्यादा संक्रामक!
जानकारी के मुताबिक भारत में पहली बार सामने आया B.1.617 वैरिएंट अब दुनियाभर के 53 देशों में सक्रिय है. कोरोना के B.1.617 वैरिएंट के तीन अलग प्रकार हैं- B.1.617.1, B.1.617.2 और B.1.617.3 में. अपडेट के मुताबिक अगल-अलग देशों और क्षेत्रों में 25 मई तक B.1.617 के तीन प्रकार के प्रचलन को देखा गया.