दरभंगा में साइबर अपराधियों ने एक शेयर मार्केट कारोबारी से 51.85 लाख रुपए की ठगी की। ठगों ने खुद को मुंबई पुलिस अधिकारी बताते हुए कारोबारी से संपर्क किया और आधार कार्ड से धोखाधड़ी होने की जानकारी दी। इसके बाद वीडियो कॉल पर पुलिस की वर्दी में दिखाई देते हुए ठगों ने कारोबारी को ढाई घंटे तक “डिजिटल अरेस्ट” में रखा और इस दौरान निर्देश देकर रकम अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर करवा ली।घटना का विवरणयह घटना 19 नवंबर को घटित हुई। पीड़ित कारोबारी राकेश रौशन, जो दरभंगा के रूहेलगंज क्षेत्र के निवासी हैं, ने 15 दिसंबर को विश्वविद्यालय थाने में एफआईआर दर्ज कराई। हालांकि, पीड़ित ने घटना पर अधिक जानकारी देने से मना कर दिया। ठगों ने कुल 51.85 लाख रुपए को विभिन्न राज्यों के बैंक खातों में ट्रांसफर करवा लिया।
इन खातों का विवरण इस प्रकार है:35 लाख रुपए: मुंबई के तारकेश्वर शाखा के आईसीआईसीआई बैंक में शालिया एक्सपोर्ट एंड इंपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड के खाते में।5.85 लाख रुपए: जोधपुर के बंधन बैंक में श्रीनाथ लिमिटेशन ज्वेलरी के खाते में।6 लाख रुपए: भिलाई शाखा के बंधन बैंक में मुकेश वेजिटेबल्स के खाते में।5 लाख रुपए: परबतसर शाखा के बंधन बैंक में पन्ना राम के खाते में।ठगी का एहसास और शिकायत19 नवंबर को सारे पैसे ट्रांसफर होने के बाद ठगों ने और धनराशि की मांग की, जिससे राकेश को शक हुआ कि वह साइबर ठगी का शिकार हो गए हैं।
उन्होंने तुरंत साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत दर्ज कराई, और पुलिस ने तेजी से कार्रवाई करते हुए 27 लाख रुपए को होल्ड कर लिया।कैसे हुई ठगी?पीड़ित ने पुलिस को बताया कि उन्हें एक अनजान नंबर से कॉल आया, जिसमें कॉलर ने खुद को मुंबई के चेंबूर थाने का पुलिस अधिकारी बताया और आधार कार्ड से धोखाधड़ी होने की बात कही। इसके अलावा, ठगों ने यह भी कहा कि उनके नाम से मुंबई के केनरा बैंक से पैसे निकाले गए हैं। पुलिस की वर्दी और धमकियों से डरकर राकेश ने ठगों की बात मान ली और पैसे ट्रांसफर कर दिए।पुलिस की कार्रवाई और प्रगतिसाइबर थाना प्रभारी अवधेश कुमार ने बताया कि मामले की जांच जारी है। अब तक 27 लाख रुपए होल्ड किए गए हैं, और बाकी की राशि की रिकवरी की कोशिश की जा रही है। अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है। इंस्पेक्टर नवीन कुमार ने कहा कि एफआईआर दर्ज होने के बाद जांच तेज कर दी गई है, और जल्द ही साइबर अपराधियों का पर्दाफाश किया जाएगा।
डिजिटल अरेस्ट: क्या है और कैसे बचें?”डिजिटल अरेस्ट” एक प्रकार की ब्लैकमेलिंग है, जिसमें ठग पुलिस या सरकारी अधिकारी बनकर लोगों पर मानसिक दबाव डालते हैं। ऐसे मामलों में लोग डर के कारण ठगों के झांसे में आ जाते हैं।सावधानी बरतें:अनजान नंबर से आए कॉल पर तुरंत भरोसा न करें।अपनी आधार कार्ड या बैंक खातों की जानकारी किसी के साथ साझा न करें।साइबर हेल्पलाइन 1930 पर तुरंत शिकायत दर्ज करें।