पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की आज पुण्यतिथि, जदयू ट्रेडर्स प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष संजीव श्रीवास्तव ने किया नमन

Patna Desk

NEWSPR डेस्क। भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की आज पुण्यतिथि है।  जिसे लेकर जदयू ट्रेडर्स प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष संजीव श्रीवास्तव ने उन्हें नमन किया।

मौलाना अबुल कलाम आजाद का जन्म 11 नवंबर 1888 को सऊदी अरब के मक्का शहर में एक भारतीय परिवार में हुआभारत में 1857 की असफल क्रांति के बाद उनका परिवार मक्का चला गया था। उनके पिता मौलाना खैरुद्दीन साल 1898 में परिवार सहित भारत लौट आए और कोलकाता में बस गए। आज़ाद को बचपन से ही किताबों से लगाव था। जब वे 12 साल के थे तो बाल पत्रिकाओं में लेख लिखने लगे।

साल 1912 में आज़ाद ने अल-हिलाल नाम की एक पत्रिका निकालनी शुरू की। यह पत्रिका अपने क्रांतिकारी लेखों की वजह से काफी चर्चाओं में रही। ब्रिटिश सरकार ने दो साल के भीतर ही इस पत्रिका की सुरक्षा राशि जब्त कर दी और भारी जुर्माना लगाकर उसे बंद करवा दिया।

मौलाना आज़ाद के लिए स्वतंत्रता से भी ज़्यादा महत्वपूर्ण थी राष्ट्र की एकता थी। साल 1923 में कांग्रेस के विशेष अधिवेशन में अपने अध्यक्षीय संबोधन में उन्होंने कहा, ”आज अगर कोई देवी स्वर्ग से उतरकर भी यह कहे कि वह हमें हिंदू-मुस्लिम एकता की कीमत पर 24 घंटे के भीतर स्वतंत्रता दे देगी, तो मैं ऐसी स्वतंत्रता को त्यागना बेहतर समझूंगा। स्वतंत्रता मिलने में होने वाली देरी से हमें थोड़ा नुकसान तो ज़रूर होगा लेकिन अगर हमारी एकता टूट गई तो इससे पूरी मानवता का नुकसान होगा’।

आजादी के बाद वे भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के रामपुर जिले से 1952 में सांसद चुने गए और वे भारत के पहले शिक्षा मंत्री बने। पहले शिक्षा मंत्री बनने पर अबुल कलाम आजाद ने नि:शुल्क शिक्षा, भारतीय शिक्षा पद्धति, उच्च शिक्षा संस्थानों की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने शिक्षा और संस्कृति को विकसित करने के लिए संगीत नाटक अकादमी (1953), साहित्य अकादमी (1954) और ललित कला अकादमी (1954) जैसी उत्कृष्ट संस्थानों की स्थापना की। मौलाना मानते थे कि ब्रिटिश शासन के दौरान भारतीय शिक्षा में सांस्कृतिक सामग्री काफी कम रही और इसे पाठयक्रम के माध्यम से मजबूत किए जाने की जरूरत है।

1992 में, महान नेता को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। आजाद ने 22 फरवरी 1958 को अंतिम सांस ली।

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