NEWSPR डेस्क। महान कवि और पत्रकार बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय की आज पुण्यतिथि है। इस मौके पर जदयू ट्रेडर्स प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष संजीव श्रीवास्तव ने उनको नमन कर श्रद्धांजलि अर्पित किया। बता दें कि इन्होंने ही राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम की रचना की थी। बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय (चटर्जी) बंगला के एक बेहद सम्मानित साहित्यकार थे। बंग भूमि ने उन्हें साहित्यिक, भाषायी समृद्धि के साथ ही वह संवेदनात्मक दृष्टि दी। जिसके चलते वह न सिर्फ बंगला के बल्कि पूरे भारतीय अस्मिता की प्रतीक समझी जाने वाली रचनाओं का सृजन कर पाए। कई लोग उन्हें बंकिम बाबू भी कहते थे। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के दौरान ‘वन्दे मातरम्’ गीत क्रांतिकारियों की प्रेरणा का स्रोत था और आज भी राष्ट्रवादी इस पर गर्व करते हैं। वह बंगला के प्रख्यात उपन्यासकार, कवि, गद्यकार और पत्रकार तो थे ही दूसरी भाषाओं पर भी उनके लेखन का व्यापक प्रभाव पड़ा।
बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय का जन्म पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के कांठलपाड़ा नामक गांव में एक समृद्ध, पर परंपरागत बंगाली परिवार में हुआ था। उन्होंने मेदिनीपुर में अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की और फिर उन्होंने हुगली के मोहसीन कॉलेज में एडमिशन लिया। वैसे किताबों के प्रति बंकिम चंद्र चटर्जी की रुचि बचपन से ही थी और वह शुरुआत में आंग्ल भाषा की ओर भी आकृष्ट थे। उनका कहना था कि अंग्रेजी के प्रति उनकी रुचि तब समाप्त हो गई, जब उनके अंग्रेजी अध्यापक ने उन्हें बुरी तरह से डांटा था। इसके बाद उन्होंने अपनी मातृभाषा के प्रति लगाव लगाना शुरू किया। उन्होंने डिप्टी मजिस्ट्रेट का पद संभाला था। उन्होंने कई उपन्यास लिखें। जिनमें 1866 में कपालकुंडला, 1869 में मृणालिनी, 1873 में विषवृक्ष, 1877 में चंद्रशेखर, 1877 में रजनी, 1881 में राजसिंह और 1884 में देवी चौधुरानी शामिल है. इसके अलावा उन्होंने ‘सीताराम’, ‘कमला कांतेर दप्तर’, ‘कृष्ण कांतेर विल’, ‘विज्ञान रहस्य’, ‘लोकरहस्य’, ‘धर्मतत्व’ जैसे ग्रंथ भी लिखे थे। आज वह इस दुनिया में नहीं है लेकिन उनकी रचनाएं लोग खूब पसंद करते हैं।