NEWSPR डेस्क। प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी जी की आज पुण्यतिथि है। जिस लेकर जदयू ट्रेडर्स प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष संजीव श्रीवास्तव ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए याद किया। बता दें कि गणेश शंकर विद्यार्थी भारतीय इतिहास के एक पत्रकार, सच्चे देशभक्त, समाजसेवी, स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय कार्यकर्ता थे। उन्हें हिंदी पत्रकारिता का प्रमुक स्तंभ माना जाता है। उनके लेखों में ऐसी गजब की ताकत होती थी कि उनकी पत्रकारिता ने ब्रिटिश शासन की नींद हराम कर दी थी। उनकी बेमिसाल क्रांतिकारी पत्रकारिता के कारण ही गणेश शंकर विद्यार्थी और उनका अखबार प्रताप आज के दौर में भी पत्रकारिता जगत के लिए एक आदर्श माना जाता है।
गणेश शंकर विद्यार्थी का जन्म 26 अक्टूबर 1890 को उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के हाथगांव के कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके पिता मुंशी जयनारायण एक स्कूल में हेडमास्टर थे। उन्होंने उर्दू और स्कूल में अंग्रेजी मिडिल क्लास पास कर इलाहबाद के कायस्थ पाठशाला कॉलेज में आगे की पढ़ाई की, लेकिन उससे पहले ही उन्हें गरीबी की वजह से पढ़ाई छोड़कर नौकरी करनी पड़ी।
कॉलेज के समय ही गणेश शंकर विद्यार्थी का झुकाव पत्रकारिता की ओर हो गया था। 16 साल की उम्र में ही उन्होंने अपनी पहली किताब आत्मोसर्गता नाम से लिखी थी। 1913 में कानपुर में ही गणेश शंकर विद्यार्थी ने प्रताप नाम से अपना खुद का हिंदी साप्ताहिक निकाला। इसी दौरान ही वे राजनैतिक और सामाजिक रूप से सक्रिय हुए। धीरे-धीरे कांग्रेस में उनका कद काफी बढ़ने लगा। इसके बाद 1925 में हुए कानपुर अधिवेशन में स्वागत समिति के प्रधानमंत्री और 1930 में प्रांतीय समिति के अध्यक्ष होने के साथ उन्हें सत्याग्रह आंदोलन में भी एक प्रमुख भूमिका मिली थी। उन्होंने कई सारे युवाओं को लेखक, पत्रकार, और कवि बनने की ट्रेनिंग और प्रेरणा दी है. ब्रिटिश सत्ता के अत्याचारों के विरूद्ध लिखने के कारण वे 5 बार जेल भी गए हैं. इस दौरान प्रताप अखबार का संपादन माखनलाल चतुर्वेदी और बालकृष्ण शर्मा संभाला करते थे.
25 मार्च 1931 को कानपुर दंगों में आम लोगों को बचाने के लिए उन्होंने अपनी जान की परवाह भी नहीं की और दंगाइयों द्वारा मार दिए गए।