NEWSPR डेस्क। बिहार में फर्जी प्रमाण पत्र का चलन पहले से है। अपनी सर्टिफिकेट उम्र कम कराने के लिए लोग तरह-तरह के फर्जी प्रमाण पत्र देते। ताकि लोगों को सरकारी योजनाओं और जॉब में लाभ मिल सके। इसी से जुड़ा एक हैरत में डालने वाला मामला सामने आया है। बिहार में एक ऐसा गांव बसता जहां लगभग गांव के हर दूसरे बच्चे एक ही दिन अपना जन्म दिवस मनाते। मामला मुजफ्फरपुर के एक गांव का है।
यहां के बच्चे एक जनवरी को ही अपना जन्मदिन मनाते। क्योंकि उनका सर्टिफिकेट जन्म दिन एक जनवरी रहता बस साल अलग अलग हो जाता। यह कोई इत्तेफाक नहीं है बल्की सरकारी योजनाओं का गलत ढंग से लाभ लेने के लिए सक्रिय गिरोह का काम है। बता दें कि पोशाक राशि, मध्याह्न भोजन राशि का लाभ लेने के लिए फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनवा दिया गया। इसमें सभी बच्चों का जन्मदिन एक जनवरी डाल दिया गया, जबकि जन्म का वर्ष अलग-अलग दिखाया गया। जिससे कि सभी बच्चे इन योजनाओं का लाभ उठा सकें। आप अक्सर देखते होंगे आम लोगों के भी सर्टिफिकेट पर एक जनवरी का जन्म लिखा होता। कुछ प्रतिशत लोगों का ही सही रहता। बाकी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए गलत जन्म तारीख और साल डाल देते। विद्यालयों में बच्चों के नामांकन के लिए सदर अस्पताल के नाम पर बने फर्जी कंप्यूटराइज्ड जन्म प्रमाणपत्रों का सहारा लिया जा रहा है। जिले के कुढऩी प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय बालक, मनियारी में बड़ी संख्या में ऐसे प्रमाणपत्र मिले हैं। इस स्कूल में नामांकन के लिए आए आवेदनों में 95 प्रतिशत बच्चों की जन्मतिथि एक जनवरी पाई गई है। इनमें जन्म के वर्ष अलग-अलग जरूर हैं।
सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डा. एनके चौधरी ने प्रमाणपत्र के फर्जी होने की पुष्टि की। उपाधीक्षक ने बताया कि सदर अस्पताल के नाम पर बने हुए जन्म प्रमाणपत्र उनके सामने आए हैं। जिसकी जांच की गई तो पता चला कि ये सब फर्बजी है और कहीं और से जारी किया गया है। बता दें कि कंप्यूटर से निकाले गए इन फर्जी प्रमाणपत्रों को बनाने का जिले में बड़ा रैकेट चल रहा है। इसमें विभिन्न तरह के ऑनलाइन प्रमाणपत्र बनाने वाले शामिल हैं। ऐसे में बच्चे को तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा। क्योंकि आजकल लोग ज्यादा समय तक नौकरी करने के लिए अपने असली बर्थडे को छिपाते हुए नकली सर्टिफिकेट उम्र का सहारा लेते हैं। लोग ऐसे में कई लाभ भी उठाते हैं।