Engineers Day 2021 : जेडीयू ट्रेडर्स प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष संजीव श्रीवास्तव ने डॉ एम विश्वेश्वरय्या को किया याद, देश के सभी इंजीनियर्स को दी शुभकामनाएं

Patna Desk
Sanjeev Srivastava, State Vice President of JDU Traders Cell remembers Dr M Visvesvaraya

NEWSPR डेस्क। आज इंजीनियर्स डे (Engineers Day 2021) है। महान इंजीनियर भारत रत्‍न डॉ. एम विश्वेश्वरय्या (Mokshagundam Visvesvaraya) की याद में इस दिन को मनाते हैं। इंजीनियर डे पर जेडीयू ट्रेडर्स प्रकोष्ठ के प्रेदश उपाध्यक्ष संजीव श्रीवास्तव (State Vice President of JDU Traders Cell Sanjeev Srivastava) ने डॉ. एम विश्‍वेश्‍वरय्या को नमन करते हुए विनम्र श्रद्धांजलि दी। साथ ही इंजीनियर्स डे पर देश के सभी इंजीनयर्स को हार्दिक शुभकामनाएं दी है।

भारत में हर साल 15 सितंबर को इंजीनियर्स डे मनाया जाता है। ये दिन भारत के सबसे महान इंजीनियर एम विश्वेश्वरैया का जन्मदिन के दिन ही मनाया जाता है। विश्वेश्वरैया भारतीय सिविल इंजीनियर के साथ-साथ विद्वान और राजनेता भी थे। सरकार ने साल 1955 में इन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया था। भारत सरकार ने साल 1968 में डॉ. एम विश्वेश्वरैया की जन्मतिथि को ‘अभियंता दिवस’ यानि कि इंजीनियर्स डे के रूप में घोषित किया था। उसके बाद से हर साल 15 सिंतबर को इंजीनियर्स डे मनाया जाता है। विश्वेश्वरैया का जन्म मैसूर (कर्नाटक) के कोलार जिले में हुआ था।

बता दें कि डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया ने एक इंजीनियर के रूप में देश में कई बांध को निर्माण करवाया है। इनमें मैसूर में कृष्णराज सागर बांध, ग्वालियर में तिगरा बांध और पुणे के खड़कवासला जलाशय में बांध आदि काफी खास हैं। इसके अलावा हैदराबाद सिटी को बनाने का श्रेय भी डॉ. विश्वेश्वरैया को ही जाता है। उन्होंने देश के विकास के लिए कई ऐसे कार्य किये हैं, जिन्हें शायद कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने एक बाढ़ सुरक्षा सिस्टम को विकसित किया था। इसके साथ ही समुद्र कटाव से विशाखापत्तनम बंदरगाह की सुरक्षा के लिए खास योजना बनाई थी।

बताया जाता है कि साल 1912 से 1918 तक डॉ विश्वेश्वरैया मैसूर के 19वें दीवान थे। उन्होंने मांड्या जिले में बने कृष्णराज सागर बांध के निर्माण में मुख्य योगदान दिया था। डॉ मोक्षगुंडम को कर्नाटक का भागीरथ भी कहा जाता है। 32 साल की उम्र में उन्होंने सिंधु नदी से सुक्कुर कस्बे तक पानी पानी पहुंचाने के लिये प्लान बनाया। उन्होंने बांध से पानी के बहाव को रोकने के लिये स्टील के दरवाजे बनवाए, जिसकी तारीफ ब्रिटिश अधिकारियों ने भी की।

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