World Environment Day 2021: इथेनॉल 21वीं सदी के भारत की प्राथमिकता, पीएम मोदी के भाषण की बड़ी बातें

Patna Desk
World Environment Day 2021

दुनियाभर के देश आज यानी शनिवार 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मना रहे हैं. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक वर्चुअल कार्यक्रम को संबोधित किया. केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, केंद्रीय पेट्रोलियम परिवहन मंत्री धर्मेंद्र प्रधान कार्यक्रम में मौजूद रहें. इस दौरान पीएम ने इथेनॉल को 21वीं सदी के बारत की प्रथमिकता बताया. इस वर्ष के कार्यक्रम का विषय बेहतर पर्यावरण के लिए जैव ईंधन को बढ़ावा देना है. अपने संबोधन से पहले प्रधानमंत्री ने देश के अलग-अलग राज्यों के किसानों से इथेनॉल पर भी बात की.

इस कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री भारत में 2020-2025 के दौरान इथेनाल सम्मिश्रण से संबंधित रोडमैप के बारे में विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट जारी की. इस मौके पर पीएम ने पुणे में तीन स्थानों पर ई 100 के वितरण स्टेशनों की एक पायलट परियोजना का भी शुभारंभ किया. यह कार्यक्रम पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया है.

विश्व पर्यावरण दिवस मनाने के लिए भारत सरकार ई -20 अधिसूचना जारी कर रही है जिसमें तेल कंपनियों को 1 अप्रैल, 2023 से 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल बेचने का निर्देश दिया गया है. इन प्रयासों से देश भर में मिश्रित ईंधन उपलब्ध कराने के लिए समयसीमा प्रदान की जाएगी. यह वर्ष 2025 से पहले इथेनॉल उत्पादक राज्यों और आसपास के क्षेत्रों में इथेनॉल की खपत को बढ़ाने में भी मदद करेगा.

पीएम ने कहा, क्लाइमेट चेंज की वजह से जो चुनौतियां सामने आ रही हैं, भारत उनके प्रति जागरूक भी है और सक्रियता से काम भी कर रहा है. उन्होंने कहा 6-7 साल में रिन्यूएबल एनर्जी की हमारी क्षमता में 250 फीसद से अधिक की बढ़ोतरी हुई है. इंस्टॉलड रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता के मामले में भारत आज दुनिया के टॉप-5 देशों में है. इसमें भी सौर ऊर्जा की क्षमता को बीते 6 साल में लगभग 15 गुना बढ़ाया है.

कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने आगे कहा, ‘वर्ष 2013-14 में जहां देश में 38 करोड़ लीटर एथेनॉल खरीदा जाता था, वह अब आठ गुना से भी ज्यादा बढ़कर करीब 320 करोड़ लीटर हो गया है. पिछले साल पेट्रोलियम कंपनियों ने 21 हजार करोड़ रुपए का एथेनॉल खरीदा और इसका बड़ा हिस्सा देश के किसानों, विशेष कर गन्ना किसानों को गया और उन्हें इससे बहुत लाभ हुआ.’ बता दें, गन्ने और गेहूं व टूटे चावल जैसे खराब हो चुके खाद्यान्न तथा कृषि अवशेषों से एथेनॉल निकाला जाता है. इससे प्रदूषण भी कम होता है और किसानों को आमदनी का एक विकल्प भी मिलता है.

प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान जलवायु परिवर्तन पर भी बात की. उन्होंने कहा कि जब पर्यावरण की रक्षा की बात हो तो यह जरूरी नहीं कि विकास कार्यों को अवरुद्ध किया जाए और इस मामले में भारत दुनिया के सामने एक उदाहरण पेश कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी दोनों एक साथ चल सकती हैं, आगे बढ़ सकती हैं. भारत ने यही रास्ता चुना है.

उन्होंने आगे कहा, ‘दुनिया कभी भारत को जलवायु परिवर्तन, इतनी बड़ी आबादी के चलते एक चुनौती के रूप में देखती थी. लोगों को लगता था कि संकट यहीं से आएगा, लेकिन आज स्थिति बदल गई है. आज हमारा देश जलवायु परिवर्तन का अगुवा बनकर उभर रहा है. एक विकराल संकट के विरुद्ध बड़ी ताकत बन रहा है.’

 

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