बरसात में भी अंधेरा नहीं सहेंगे बिहारवासी, बिजली विभाग को सतर्क रहने का निर्देश

Jyoti Sinha

बिहार में अब बिजली केवल एक सुविधा नहीं, बल्कि आम लोगों का बुनियादी अधिकार और आवश्यकता बन चुकी है। खासकर बरसात के मौसम में जब तेज़ हवाओं के साथ पेड़ गिरने और बिजली के तारों के टूटने की घटनाएं बढ़ जाती हैं, तब राज्य की ऊर्जा आपूर्ति प्रणाली की असली परीक्षा होती है। इन्हीं चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए ऊर्जा सचिव और बिजली कंपनी के चेयरमैन-कम-मैनेजिंग डायरेक्टर मनोज कुमार सिंह ने शनिवार को एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की।वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उत्तर और दक्षिण बिहार के सभी विद्युत कार्यपालक अभियंताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने साफ निर्देश दिया कि “मौसम चाहे कैसा भी हो, उपभोक्ताओं को बिजली से वंचित नहीं रहना चाहिए।” उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि ग्रामीण क्षेत्रों में न्यूनतम 22 घंटे और शहरी क्षेत्रों में 24 घंटे निर्बाध बिजली आपूर्ति हर हाल में सुनिश्चित की जाए।बैठक में एसबीपीडीसीएल के एमडी महेंद्र कुमार और एनबीपीडीसीएल के एमडी राहुल कुमार भी मौजूद रहे।

सीएमडी ने अभियंताओं को हिदायत दी कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में नियमित निगरानी करें और उपभोक्ताओं की शिकायतों का त्वरित समाधान करें। उन्होंने यह भी कहा कि बरसात के मौसम में बिजली आपूर्ति केवल एक तकनीकी काम नहीं, बल्कि जनसेवा का एक जिम्मेदार दायित्व है।उन्होंने आगाह किया कि इस मौसम में विद्युत दुर्घटनाओं की आशंका काफी बढ़ जाती है। इसलिए सुरक्षा उपायों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। जलजमाव वाले क्षेत्रों में लगे ट्रांसफॉर्मर, खुले तार, टूटे इंसुलेटर या झुके हुए पोल जैसी समस्याओं पर तुरंत कार्रवाई की जाए, ताकि किसी प्रकार की जान-माल की हानि न हो।आज बिजली हर ग्रामीण और शहरी परिवार की दैनिक ज़रूरतों का अहम हिस्सा बन गई है—चाहे वह मोबाइल चार्ज करना हो, पंखा चलाना हो या अस्पतालों में जीवन रक्षक उपकरणों को सुचारू रूप से चलाए रखना। ऐसे में यह ज़रूरी है कि बिजली अब किसी मौसम पर निर्भर सुविधा नहीं, बल्कि एक स्थायी और भरोसेमंद सेवा बनकर हर नागरिक तक पहुंचे। इस भरोसे को बनाए रखना अब ऊर्जा विभाग की प्राथमिक ज़िम्मेदारी है।

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