अयोध्‍या में राम मंदिर निर्माण की निगरानी कर रहे देश के अनुभवी इंजीनियर, जानिए टीम के विशेषज्ञों को

Patna Desk

राम मंदिर निर्माण कार्य को फूलप्रूफ बनाने के लिए श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने देश के पांच शीर्ष व अनुभवी इंजीनियरों को अलग से मानीटरिंग व कार्यदायी संस्थाओं के सहयोग की जिम्मेदारी सौंपी है. ये मंदिर निर्माण में पूर्णकालिक सहयोगी की भांति कार्य कर रहे हैं. इनका निवास भी जन्मभूमि परिसर में ही है. सभी संघ की पृष्ठभूमि वाले हैं.

ये इंजीनियर अलग-अलग क्षेत्रों के मर्मज्ञ हैं. एलएंडटी व टाटा कंसल्टेंसी के अतिरिक्त निर्माण कार्य में इन सभी की राय अहम होती है. इनमें पहला नाम निर्माण कार्यों से संबंधित 40 वर्ष का अनुभव रखने वाले महाराष्ट्र के औरंगाबाद निवासी जगदीश आफले का है. वे आइआइटियन हैं. दूसरे तमिलनाड़ु के मदुरै निवासी कालीमुत्तु हैं, जिन्हें दुर्गम परिस्थितियों में निर्माण संबंधित 30 वर्ष का अनुभव है। तीसरा नाम अविनाश संगमनेरकर का तथा चौथे विशेषज्ञ के रूप में दिल्ली निवासी सुदर्शन कुमार हैं, जो भव्य मंदिर को आकार देने में जुटे हैं. सुदर्शन दिल्ली मेट्रो में कार्यरत हैं. वह अवकाश लेकर निर्माण कार्य में अहम भूमिका निभा रहे हैं. इस कतार में एक पाइलिंग विशेषज्ञ राजेंद्र त्रिपाठी भी हैं, जो यूपी के प्रतापगढ़ जिले से हैं. उन्हें समुद्र में कुएं बनाने का 30 वर्षों का अनुभव है. उनका ताल्लुक ओएनजीसी से हैं.

सुदर्शन के अलावा सभी सेवानिवृत्ति के बाद मंदिर निर्माण के यज्ञ में आहुति डाल रहे हैं. ये इंजीनियर ट्रस्ट व निर्माण समिति के संपर्क में रह कर निर्माण कार्यों के वस्तुस्थिति से उन्हें अवगत कराते हैं. इसके अतिरिक्त ट्रस्ट ने निर्माण कार्य पर दैनिक परामर्श के लिए भी समिति बनाई है, जिसमें महासचिव चंपतराय, नृपेंद्र मिश्र, स्वामी गोङ्क्षवद गिरि, राजा अयोध्या बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र व डा. अनिल मिश्र शामिल हैं. यह समिति निर्माण की गतिविधि पर आपस में चर्चा करती हैं और फीडबैक लेती है.

दूसरी बार बारिश ने डाली बाधा
हाल के दिनों में यह दूसरा मौका है, जब मंदिर की नींव की ढलाई का कार्य बारिश के कारण बाधित हुआ है. बीते दो दिन से चल रही बारिश ने एक बार फिर से मंदिर निर्माण के लिए चल रहे ग्राउंड इंप्रूवमेंट के कार्य में खलल डाल दिया है. परिसर में पानी व मिट्टी का जमाव हो गया है. शनिवार को इसे निकाला जाता रहा. निर्माण कार्य से जुड़े विशेषज्ञ बताते हैं कि यह कि थोड़े दिन की समस्या और है. जैसे-जैसे नींव ढलाई का कार्य आगे बढ़ेगा, यह समस्या समाप्त होती जाएगी.

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