NEWSPR बिहार : केन्द्र सरकार की किसान कानून लागू होने के बाद देश के किसान खुशहाली की ओर बढने लगे हैं, लेकिन पूर्वी चंपारण के किसान इन कानूनों के लाभ से वंचित हैं। यहां के किसानों को केन्द्र के द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की भी जानकारी नहीं है। किसानों को उन योजनाओं और कानूनों की जानकारी हो, उन्हे ये समझाने और बताने वाला भी कोई नहीं है। साथ ही अबतक नगदी फसल की खरीद के लिए कोई बडा व्यवसायी ही किसानों के उपज को खरीदने या फसल को उगाने की पहल किया है। इन्हीं कारणों से किसानों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। किसानों को ग्लोबल फार्मिंग के लाभ की जानकारी ही नहीं है। जिसकारण पूर्वी चम्पारण के किसान ग्लोबल फार्मिंग या सामूहिक खेती से अंजान लाभ लेने से वंचित है। इन्ही कारणों से किसानों के खेती लगातार घाटे का सौदा बना है।
पूर्वी चंपारण के किसान ग्लोबल फार्मिंग से होने वाले हानि लाभ से अंजान बने है। युवा किसान अमरेन्द्र कुमार का कहना है कि नये किसान कानून और ग्लोबल फार्मिंग की जानकारी नहीं है। साथ ही कहते है कि फसल लगने और उपज आने के पूर्व फसल खासकर सब्जियों के समर्थन मूल्य की घोषणा सरकार करती है तो किसानों के आमदनी में वृद्धि होगी। वहीं युवा किसान मनोज ठाकुर कहते हैं कि मौसम के अनुसार एक ही तरह की खेती गांव के सभी किसान करते हैं। लेकिन उपज की बिक्री के लिए बाजार नहीं होने के कारण किसानों को औने पौने दाम में अपने उपज को बेचना मजबूरी होती है।
किसान मनोज ठाकुर बताते हैं कि अगर बाजार की व्यवस्था और उपज की पूर्व मूल्य निर्धारण हो जाये तो किसान खुशहाल होंगे। ये कहते हैं कि सामूहिक खेती से किसानों को लाभ नहीं होने वाला है क्योकि इसका बाजार नहीं है। अगर फसल का दर पूर्व में ही निर्धारित हो जाये और बाजार मिले तो किसानों को लाभ मिलेगा। जबकि किसान रामेश्वर ठाकुर बताते हैं कि किसान एक साथ मिल कर खेती करने में एकमत नहीं है, लेकिन व्यवस्था को सुचारु कर दिया जाये तो किसानों को लाभ मिलेगा।
मोतिहारी से धर्मेंद्र कुमार की रिपोर्ट ।