भारतीय नागरिक उड्डयन के जनक जेआरडी टाटा की पुण्यतिथि आज, पल्वी राज कंस्ट्रक्शन और न्यूज पीआर के सीएमडी संजीव श्रीवास्तव ने दी श्रद्धांजलि

Patna Desk

NEWSPR डेस्क। जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा या जे आर डी टाटा का निधन आज ही के दिन 29 नवंबर 1993 को हुआ था। आज उनका पुण्यतिथि है। इस मौके पर पल्वी राज कंस्ट्रक्शन और न्यूज पीआर के सीएमडी संजीव श्रीवास्तव ने उन्हे नमन करते हुए श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर उन्होंने कहा कि जेआरडी. टाटा उसूलों के बेहद पक्के व्यक्ति थे। उन्होंने व्यापार में सफलता के साथ-साथ उच्च नैतिक मानदंडों को भी कायम रखा। उनकी अध्यक्षता में टाटा समूह ने नई बुलंदियों को छुआ था। उनके काल में टाटा समूह की कंपनियों की संख्या 15 से बढ़कर 100 से ज्यादा हो गई। साथ ही टाटा समूह की परिसंपत्ति 62 करोड़ से बढ़कर 10 हज़ार करोड़ की हो गई।

टाटा भारत के वायुयान उद्योग और अन्य उद्योगों के अग्रणी थे। टाटा ने देश में इस्पात, इंजीनियरिंग, होटल, वायुयान और अन्य उद्योगों का विकास किया। 1932 में उन्होंने टाटा एयरलाइंस शुरू की। इन्होंने ही देश की पहली वाणिज्यिक विमान सेवा टाटा एयरलाइंस शुरू की थी, जो आगे चलकर भारत की राष्ट्रीय विमान सेवा एयर इंडिया बन गई। इस कारण जे. आर. डी. टाटा को भारत के नागरिक उड्डयन का पिता भी कहा जाता है। उन्हें वर्ष 1957 में पद्म विभूषण और 1992 में भारत रत्न से सम्मनित किया गया।

कुशल विमान चालक जे. आर. डी. टाटा का जन्म 29 जुलाई, 1904 ई. में पेरिस में हुआ था। यह रतनजी दादाभाई टाटा व उनकी फ्रांरांसीसी पत्नी सुजैन ब्रियरे की दूसरी संतान थे। उनके पिता भारत के अग्रणी उद्योगपति जमशेदजी टाटा के चचेरे भाई थे। उनके बचपन का ज़्यादातर समय फ्रांस में बीता, इसलिए फ्रेंच उनकी पहली भाषा थी। उन्होंने कैथेडरल और जॉन कोनोन स्कूल मुंबई में अपनी पढ़ाई पूरी की। जेआरडी ने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कैंब्रिज विश्वविद्यालय से की थी।

मात्र 34 वर्ष की आयु में वे टाटा संस के चेयरमैन बने। दशकों तक उन्होंने विशालकाय टाटा समूह की कंपनियों का मार्गदर्शन किया। उन्होंने अपनी पैतृक कम्पनी के अध्यक्ष पद पर पहुंचने से पहले सबसे नीचे स्तर से काम सम्भालना सीखा। इस प्रकार उन्हें अपने उद्योग के विभिन्न समूहों को समझने का अवसर मिला। इसी जानकारी से वे उद्योग को विभिन्न दिशाओं में बढ़ाने में सफल हुए।

पुरस्कार
जेआरडी. टाटा के अवदानों के कारण उन्हें दुनिया भर के तमाम पुरस्‍कारों से नवाजा गया। 1954 में फ्फ्रांस ने उन्हें अपने सर्वोच्‍च नागरकिता पुरस्कार लीजन ऑफ द ऑनर से नवाजा। 1957 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से अलंकृत किया। 1988 में उन्हें गुगेन‌हीम मेडल फॉर एवियेशन प्रदान किया गया। 1992 में भारत सरकार ने अपने इस सपूत को देश के सर्वोच्‍च अलंकरण भारत रत्न से सम्‍मानित किया। उसी वर्ष संयुक्त राष्ट्र संघ ने भारत में जनसंख्या नियंत्रण में अहम योगदान देने के लिए यूनाइटेड नेशन पापुलेशन आवार्ड से सम्‍मानित किया।

मृत्यु
अनेक संस्थाओं और विश्वविद्यालयों द्वारा सम्मानित जेआरडी. टाटा का 89 वर्ष की आयु में वर्ष 29 नवम्बर, 1993 में जिनेवा स्विट्जरलैण्ड में निधन हो गया। उन‌की मृत्यु पर संसद ने अपनी कार्यवाही स्थगित कर दी थी। यह एक ऐसा सम्मान था, जो आमतौर पर केवल सांसदों को ही नसीब होता है। मरणोपरांत उन्हें पेरिस में ही दफनाया गया।

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