कॉफेड पटना के प्रबंध निदेशक और दिल्ली के निदेशक ने संयुक्त रूप से एक प्रेस बयान जारी किया और कहा कि राज्य सरकार ने 15 जून से 15 अगस्त तक गंगा, गंडक एवं अन्य सदाबहार नदियों में मछली पकड़ने पर रोक लगा दी है। इससे सूबे के लाखों मछुआरे बेरोजगार हो जायेंगे। उन्होंने कहा कि बेरोजगारी से बचाने के लिए केन्द्र सरकार ने मछुआरों के लिए राहत एवं बचत योजना लागू की है। केन्द्र सरकार ने यह नीति बनायी है कि जिन राज्यों की सरकारें अधिनियम के द्वारा मानसून में सदाबहार नदियों में मछली पकड़ने पर प्रतिबंध लगाएगी, उन राज्य के मछुआरों को केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार के द्वारा राहत दिया जाएगा। इस योजना के तहत 33.3 प्रतिशत राशि 3000/- रूपये मछुआरों को 33.3 प्रतिशत राशि 3000/- रूपये केन्द्र सरकार एवं 33.3 प्रतिशत राशि 3000/- रूपये राज्य सरकार को देने होते हैं। कुल 9000/- रूपये राशि दो माह 15 जून से 15 जूलाई 4500/- एवं 15 जूलाई से 15 अगस्त में 4500/- सौ रूपये की दर से मछुआरेां के बीच वितरण किया जाना है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा इस योजना को लागू नहीं करने से लाखों मछुआरों के समक्ष रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो रही है। श्री कश्यप ने बताया कि बिहार जलकर प्रबंधन अधिनियम, 2006 की धारा-13(प) के द्वारा 15 जून से 15 अगस्त तक सदाबहार नदियों में शिकारमाही करने पर प्रतिषेध है एवं धारा-17(पप) के द्वारा रोक के बावजूद अगर मछुआरा नदियों में शिकारमाही करते हैं तो सरकार मछुआरों को छः माह तक का कारावास या पांच सौ रूपयें जुर्माना अथवा दोनों से दण्डनीय होगा ऐसा अपराध संज्ञेय होगा, का प्रावधान किया गया है ।