NEWSPR डेस्क। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ जगन्नाथ मिश्रा की पुण्यतिथि है। इस मौके पर जेडीयू ट्रेडर्स प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष सह प्रवक्ता संजीव श्रीवास्तव ने उन्हे नमन कर श्रद्धांजलि दी है।
जगन्नात मिश्रा पहली बार 1975 में राज्य के मुख्यमंत्री बने और अप्रैल 1977 तक इस पद पर रहे थे। उसके बाद 1980 उन्होंने तीन साल के लिए मुख्यमंत्री की कमान संभाली। 1989 में मिश्रा तीन महीने के लिए सीएम बने थे।
बिहार में कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे थे जगन्नाथ मिश्रा : वो तीन बार कांग्रेस पार्टी में रहते हुए बिहार के सीएम पद पर पहुंचे थे। उन्होंने बिहार में कांग्रेस को बुलंदियों पर पहुंचाया था। बता दें कि जगन्नाथ मिश्रा बिहार में 950 करोड़ रुपये के चारा घोटाले में भी फंसे थे। 1996 में सामने आए इस मामले में बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव भी जेल काट रहे थे, फिल्हाल वो भी जमानत पर बाहर हैं।
चारा घोटाले के एक मामले में हुए थे बरी : बता दें कि दुमका कोषागार से अवैध निकासी से जुड़े मामले में जगन्नाथ मिश्रा को बरी कर दिया गया था। बता दें, यह मामला दुमका कोषागार से अवैध निकासी से जुड़ा था। दुमका कोषागार से करीब 3.76 करोड़ रुपये की अवैध निकासी को लेकर सीबीआई ने 1996 में एफआईआर दर्ज की थी। राशि की निकासी 1995 से 1996 के बीच हुई थी। मामले की जांच के बाद सीबीआई ने 11 अप्रैल 1996 को रिपोर्ट दर्ज की थी। चारा घोटाले के तीसरे मामले में लालू प्रसाद यादव और जगन्नाथ मिश्रा को चाईबासा कोषागार गबन मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने दोषी करार देते हुए पांच-पांच साल जेल की सजा सुनाई थी।
कार्यकर्ताओं से था सीधा संवाद : जगन्नाथ मिश्रा को जमीनी नेता माना जाता था। वह ऐसे मुख्यमंत्री माने जाते थे जो पंचायत तक के नेताओं और कार्यकर्ताओं से भी करीबी रिश्ता बनाकर रखते थे। मिश्रा के बड़े भाई ललित नारायण मिश्रा रेल मंत्री रह चुके थे। ललित की हत्या के बाद जगन्नाथ मिश्रा पूरी तरह कांग्रेस की राजनीति में रम गए। हालांकि बाद में वैचारिक टकराव के कारण मिश्रा शरद पवार की पार्टी एनसीपी में शामिल हो गए थे।