भारत-नेपाल सीमा के समानांतर बन रही इंडो-नेपाल बॉर्डर रोड परियोजना में अब चार रेलवे ओवरब्रिज (आरओबी) के निर्माण को केंद्र सरकार से हरी झंडी मिल गई है। करीब 554 किलोमीटर लंबी यह सड़क पिछले 15 सालों से बन रही है। इसके पूरा होने पर नेपाल से होने वाली अवैध आवाजाही पर रोकथाम आसान होगी, साथ ही बिहार के सात जिलों—पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज—के लोगों को सफर में बड़ी सुविधा मिलेगी।
7 मीटर चौड़ी सड़क और सुरक्षा का ध्यान
दिसंबर 2010 में मंजूरी मिलने के बाद इस सड़क को दो लेन (7 मीटर चौड़ा) बनाने की योजना बनी। इसका एलाइनमेंट केंद्रीय गृह मंत्रालय और एसएसबी ने इस तरह तैयार किया कि सीमा की चौबीसों घंटे निगरानी हो सके। अब तक 88% कार्य पूरा हो चुका है और कई जगहों पर लोग इसका उपयोग भी कर रहे हैं।
इन जगहों पर बनेंगे ओवरब्रिज
पूर्वी चंपारण के रक्सौल और नकरदेही, तथा सीतामढ़ी के सिंदुरिया और असोगी में रेलवे क्रॉसिंग पर ओवरब्रिज बनाए जाएंगे। परियोजना की कुल लागत अब 2468 करोड़ रुपये हो गई है, जबकि भूमि अधिग्रहण पर राज्य सरकार 2278 करोड़ रुपये खर्च कर रही है।
यूपी बॉर्डर से बंगाल तक सड़क
यह सड़क बिहार में यूपी बॉर्डर के गोबरहिया (मदनपुर) से पश्चिम बंगाल के गलगलिया तक बनाई जा रही है। 2010 में केंद्र ने 1656 करोड़ रुपये स्वीकृत किए थे, लेकिन लागत बढ़ने के बाद राज्य सरकार अब इसे 14 मीटर चौड़ा (चार लेन) करने की दिशा में भी काम कर रही है।