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स्वतंत्रता सेनानी शरत चंद्र बोस की जयंति आज: जदयू ट्रेडर्स प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष संजीव श्रीवास्तव ने दी श्रद्धांजलि, जानिए उनसे जुड़ी कुछ बातें

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NEWSPR डेस्क। जदयू ट्रेडर्स प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष संजीव श्रीवास्तव ने स्वतंत्रता सेनानी शरत चंद्र बोस की जयंति पर उन्हें नमन करते हुए श्रद्धांजलि दी है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता की लड़ाई में उनका योगदान हमेशा अविस्मरणीय रहेगा। उन्होंने कहा कि उन्होने बंगाल विभाजन का विरोध किया था और स्वतंत्रता की लड़ाई के लिए अपनी वकालत त्याग दी थी। देश के प्रति इस प्रकार की भावना रखने वाले स्वतंत्रता सेनानी को वह सलाम करते हैं।

स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी तथा सबसे बड़े नेता सुभाष चन्द्र बोस के छोटे भाई शरत चंद्र बोस ने भारत की आजादी में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। शरत चंद्र बोस का जन्म सितंबर 6,1889 कोलकाता में हुआ था। उनके पिता जानकी नाथ बोस कटक शहर के मशहूर वकील लेकिन पहले वे सरकारी वकील थे। शरत चन्द्र की शिक्षा-दीक्षा कटक में हुई। उन्होंने इंग्लैण्ड से कानून में शिक्षा प्राप्त की तथा घर वापिस लौट कर उन्होंने कलकत्ता हाई कोर्ट से अपनी वकालत शुरू कर दी। शरत की वकालत दिन पर दिन फलने-फूलने लगे लेकिन देश की आजादी के जुनून में उन्होंने अपनी वकालत छोड़ दी।

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अगस्त 1946 में केंद्र की अंतरिम सरकार में वह शामिल हुए। शरत ने बंगाल विभाजन का विरोध किया था। वे बंगाल को भारत और पाकिस्तान का अलग एक स्वाधीन राज्य बनाना चाहते थे। किंतु वे इसमें असफल रहे। अहिंसा में विश्वास रखने के बावजूद उनको क्रांतिकारियों से सहानुभूति थी। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय सेना बनाने में बहुत मदद की, जिसका नेतृत्व बाद में उनके भाई सुभाष चंद्र बोस ने किया।

वे कांग्रेस में शामिल हो गए और 1936 में बंगाल प्रदेश अध्यक्ष चुने गए, वे 1947 तक कांग्रेस कार्यकारी समिति के सदस्य रहे। तथा अगस्त 1946 में केंद्र में बनी अंतरिम सरकार में वे शामिल हुए और उन्हें वर्क्स, माइन्स एंड पावर्स मंत्रालय का प्रभार दिया गया। परंतु 1947 में उन्होंने विभाजन के खिलाफ जोरदार विरोध किया और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी से इस्तीफा दे दिया। शरत चंद्र बोस का 1950 में कोलकाता में निधन हो गया। उनके सम्मान में कलकत्ता उच्च न्यायालय के बगल में उनकी प्रतिमा स्थापित की गई।

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