बिहार सरकार गरीबों और युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए लगातार योजनाएं चला रही है।
लघु उद्यमी योजना के तहत गरीब परिवारों को मासिक आय के आधार पर दो लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता अनुदान स्वरूप दी जा रही है। अब तक 60,205 लाभार्थियों के बीच 512.33 करोड़ रुपये की राशि बांटी जा चुकी है। इस योजना में सहायता राशि तीन किस्तों में दी जाती है—पहली किस्त 50 हजार रुपये, दूसरी एक लाख रुपये और अंतिम किस्त 50 हजार रुपये की होती है।
नए उद्योग लगाने के इच्छुक युवाओं के लिए मुख्यमंत्री उद्यमी योजना भी बड़ा सहारा बनी है। इसके तहत परियोजना लागत के रूप में अधिकतम 10 लाख रुपये तक की मदद दी जाती है। अब तक 43,526 लाभार्थियों को कुल 3072.45 करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं। इस पहल से हज़ारों युवाओं ने अपना कारोबार शुरू किया है और रोजगार के नए अवसर भी पैदा हुए हैं।
इसी तरह बिहार स्टार्टअप नीति ने नवाचार और नए विचारों को बल दिया है। इस योजना में युवाओं को 10 लाख रुपये तक का ब्याजमुक्त ऋण उपलब्ध कराया जाता है। अब तक 1522 स्टार्टअप्स पंजीकृत हो चुके हैं। इसके साथ ही 46 स्टार्टअप सेल और 22 इनक्यूबेशन सेंटर की स्थापना की गई है। पिछले वर्ष में 2261 एमएसएमई और स्थानीय उद्योगों को भी इस नीति से जोड़ा गया है।
उद्योग को बढ़ावा देने के लिए राज्यभर में 1903 जागरूकता शिविर और आउटरीच प्रोग्राम आयोजित हुए, जिनमें 8099 छात्रों को प्रशिक्षण मिला और 91 छात्रों को इंटर्नशिप का अवसर प्रदान किया गया। इसके अलावा स्टार्टअप्स को पूंजी की सुविधा दिलाने के लिए बिहार सरकार ने सिडबी के साथ 150 करोड़ रुपये के फंड का एमओयू भी साइन किया है।
इन योजनाओं का उद्देश्य न केवल लोगों को आत्मनिर्भर बनाना है, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था को नई गति देना भी है।