कूड़े का ढेर बन रहा है पटना, लगातार पांचवें दिन भी सफाई कर्मियों की हड़ताल जारी

Patna Desk

NEWSPRडेस्क। बिहार में पिछले चार दिनों से सफाई कर्मी हड़ताल पर हैं, सफाई कर्मियों की हड़ताल के बाद पटना समेत पूरे राज्य के शहरों की स्थिति बदतर होती जा रही है. पटना में 1 हजार से ज्यादा जगहों पर कूड़े का ढ़ेर जमा हो गया है. कूड़े की वजह से चारों ओर बदबू फैल रही है. लेकिन सफाई कर्मी अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर डटे हुए हैं. बिहार लोकल बॉडीज कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा और बिहार राज्य स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ के संयुक्त नेतृत्व में सफाई कर्मी हड़ताल पर हैं। पटना में शनिवार की सुबह एक भी वाहन कचरा उठाने के लिए नहीं निकल सका। आउटसोर्स कर्मी कार्य के लिए यार्डों में पहुंचे। इसके बाद भी डोर टू डोर वाहन कचरा उठाव के लिए नहीं निकला। पटना की गलियों में जगह-जगह पर कचरे का ढेर लग गया है। इसी बीच सुबह के वक्तए हल्की बारिश होने के कारण स्थिति और भयावह हो गयी है।

आज हड़ताली कर्मचारियों से समझौता हो जाता है तो युद्ध स्तर पर कचरा उठावा ने की तैयारी है। हड़ताल जारी रहने की स्थिति में दंडाधिकारी और फोर्स के सहारे कचरा उठाव प्रारंभ करने की कोशिश होगी। पटना में पांच दिनों से डोर टू डोर कचरा उठाव का कार्य ठप है। सिर्फ रात में शहर की मुख्य सड़कों से कचरा उठाया जा रहा है। पटना की गलियों और सड़कों पर 3600 टन से अधिक कचरा जमा होने का अनुमान है। प्रतिदिन एक हजार टन कचरा निकलता है। नगर निगम हड़ताल की बाद भी रात में 300 टन कचरा उठाने का दावा कर रहा है। उसके दावे के अनुसार 3600 टन से अधिक कचरा सड़कों पर पड़ा हुआ है।

क्या है सफाई कर्मियों की मांग 
बिहार लोकल बॉडिज कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष चंद्रप्रकाश सिंह ने दावा किया कि राज्यभर के नगर निकाय के स्थायी, दैनिक कर्मी, आउटसोर्सिंग कर्मी हड़ताल में हैं. उनका कहना है कि वो नगर निकाय प्रशासन के बहकावे में नहीं आने वाले हैं, सरकार को उनकी मांगें माननी पड़ेगी. ग्रुप डी का पद नहीं रहेगा तो गरीब और वंचित कर्मी सरकारी सेवक कैसे बन पाएंगे। और आरक्षण का लाभ उन्हें नहीं मिल पाएगा। वो आगे कहते हैं कि ग्रुप डी का पद वापस करने के साथ उनकी दूसरी मुख्यं मांगों में दैनिक कामगारों की सेवा का नियमितीकरण, ग्रुप डी का पद वापस करना, समान कार्य के समान वेतन के तहत 18 हजार से 21 हजार तक मानदेय, आउटसोर्स, ठेका और कमीशन प्रथा बंद किया जाए, अनुकंपा की बहाली शुरू करने और सेवानिवृत्त कर्मियों के बकाए राशि का भुगतान, स्थायी कर्मियों को समान रूप से 7वां वेतन, पेंशन, आजीवन पारिवारिक पेंशन की सुविधा मिलनी चाहीए।

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