NEWSPR /DESK : हेमंत सोरेन की अगुवाई वाली झारखंड की सरकार मानव तस्करी के विरुद्ध सख्त कार्रवाई कर रही है। हालांकि ग्रामीण इलाकों से नाबालिग लड़के-लड़कियों की तस्करी सालों से होती आ रही है, उन्हें तस्करों के जाल से छुड़ाना मुश्किल हो रहा है। लेकिन पिछले कुछ महीनों से सैकड़ों बच्चों को छुड़ाया गया है। वहीँ मुख्यमंत्री के निर्देश पर कई राज्यों से मानव तस्करी के शिकार लोगों को मुक्त कराने के साथ उनका पुनर्वास भी किया जा रहा है। कुछ दिनों पहले ही 21 बच्चो को मुक्त करा कर झारखंड लाया गया है। ये बच्चे साहेबगंज, पश्चिमी सिंहभूम, गुमला, धनबाद, सिमडेगा और बोकारो जिले के थे।अब राज्य के 26 बच्चों को दिल्ली से मुक्त करा कर लाया जा रहा है। इस हिसाब से जुलाई में 47 बच्चों को मानव तस्करों के जाल से आजाद कराया गया। इन बच्चों को एकीकृत पुनर्वास-सह-संसाधन केंद्र झारखंड भवन, नई दिल्ली द्वारा स्थानिक आयुक्त मस्तराम मीणा के निर्देशानुसार दिल्ली के विभिन्न स्थानों से दिल्ली पुलिस के सहयोग से मुक्त कराया गया है। स्थानीय आयुक्त ने कहा है कि झारखंड भेजे जा रहे बच्चों को जिले में संचालित कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ते हुए उनकी सतत निगरानी की जाएगी।
24 घंटे जारी है हेल्पलाइन नंबर मानव तस्करी के शिकार लोगों को मुक्त कराने से लेकर उनके पुनर्वास तक में एकीकृत पुनर्वास-सह-संसाधन केंद्र की अहम भूमिका रहती है। केंद्र दिल्ली एनसीआर एवं सीमावर्ती राज्यों के बाल कल्याण समिति, बालगृहों एवं दिल्ली पुलिस के साथ लगातार सम्पर्क स्थापित कर मानव तस्करी के शिकार झारखंड राज्य के बच्चों को वापस उनके गृह जिला भेजने के लिए समर्पित है। एकीकृत पुनर्वास संसाधन केंद्र का 24 घंटे संचालित हेल्पलाइन नंबर 10582 है।
कई लोगों का योगदान रहा सभी बालक-बालिकाओं का एकीकृत पुनर्वास -सह- संसाधन केंद्र के कर्मियों के द्वारा परामर्श एवं गृह सत्यापन जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी के माध्यम से कराया जाता है। इस कार्य में उप स्थानिक आयुक्त सह वरीय प्रभारी आईआरआरसी शहंशाह अली खान, नोडल पदाधिकारी, पुनर्वास संसाधन केंद्र श्रीमति नचिकेता मिश्रा, कार्यक्रम समन्वयक सुनील कुमार गुप्ता, परामर्शी निर्मला खलखो, प्रिंस कुमार, मंजू ठाकुर एवं राज्य द्वारा भेजे गए कोर टीम के सदस्य अशोक नायक, ओमप्रकाश तिवारी अनमोल कुमारी सुशीला सुंडी का अहम योगदान रहा है।