सरकार की खुलती पोल: गांव की महिलाएं, पुरूष और बच्चे हर दिन इसे देखते हुए लोटा लेकर खेत की ओर जाते हैं और सिस्टम को कोसते हैं

Patna Desk

Patna Desk: स्वच्छ भारत एवं घर घर शौच मिशन के तहत सरकार की मंशा के अनुरूप हर घर शौचालयों का निर्माण कराया गया. साथ ही खुले में शौच मुक्त की रोकथाम के लिए सार्वजनिक शौचालयों का भी निर्माण कराया गया था लेकिन अधर में लटका शौचालय सरकारी दावों को खोखला साबित कर रहे है. जिम्मेदार कागजों में योजना पूरी दिखा रहे जबकि हकीकत में शौचालय अधूरे पड़े है.

Bhaskar Reality Check; 18 toilet remain shut after three years of building in Patna Phulwari Sharif Block | पटना से 7KM दूर 18 टॉयलेट 3 साल से बनकर तैयार हैं, लोग सिर्फ

एक तस्वीर राजधानी पटना से आ रही है. इस तस्वीर में आप टॉयलेट घर देख रहे होंगे. जिसे बनाया तो काफी बढ़िया तरीके से लेकिन इसे अबतक शुरु नहीं किया जा सका हैं. दरअसल, ये तस्वीर है पटना के सचिवालय से 7 किमी दूर फुलवारी शरीफ प्रखंड के रानीपुर, नीमतल की. यहां 18 शौचालय बनाए गए. बनाने का मकसद ये कि लोग खुले में शौच न करें. ये इतना सुंदर है कि इसे शौचालय कहना ठीक नहीं, टायलेट ही कहिए. इन टायलेट का निर्माण इसलिए किया गया ताकि बेटियों, बहुओं को भी बेहतर जिंदगी मिल सके. उन्हें टॉयलेट के लिए बाहर खेतों में ना जाना पड़े. लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि, से केवल बनकर तैयार है लेकिन अब तक लोग इसका इस्तेमाल नहीं कर पाए हैं.

छत पर पानी की दो टंकियां हैं। लेकिन उसमें पानी पहुंचाने का कोई इंतजाम नहीं।

इसे वार्ड संख्या 28 और 29 के लोगों की सुविधा के लिए तैयार किया गया था. सड़क के एक तरफ वार्ड 28 है और उस तरफ वार्ड 27. यानी सड़क ही दोनों वार्ड को काटती है. लोग इंतजार कर रहे हैं कि ये 18 टॉयलेट कब चालू होंगे? कब वे सुपर स्टार अभिताभ बच्चन का कहना मानकर खुले में शौच करना बंद करेंगे? कब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सपना यहां जमीन पर उतरेगा? गांव की महिलाएं, पुरूष और बच्चे हर दिन इसे देखते हुए लोटा लेकर खेत की ओर जाते हैं और सिस्टम को कोसते हैं.

तीन साल से यही हो रहा है यहां, लेकिन सात किमी की दूरी पर स्थित राजधानी के सचिवालय में बैठे मंत्रियों और अफसरों के कानों तक आवाज नहीं पहुंच सकी है. फुलवारी नगर परिषद को भी इसकी परवाह नहीं। सरकार की स्वच्छ भारत मिशन योजना इस तरह से यहां दम तोड़ रही है.

टॉयलेट में बिजली का कनेक्शन भी है। बोर्ड, स्वीच सब है।

जानकारी है कि इन 18 टॉयलेट के निर्माण में साढ़े आठ लाख रुपए खर्च हुए. दरअसल, इस क्षेत्र के वार्ड संख्या 28 के पार्षद संजय प्रसाद और वार्ड 27 के पार्षद रहे देव कुमार से बात की. दोनों ने यही बताया कि पानी का कनेक्शन जोड़ा नहीं जा सका है, इसलिए यह बंद पड़ा है. टॉयलेट की छत पर पानी की दो टंकियां हैं. लेकिन उसमें पानी पहुंचाने का कोई इंतजाम नहीं किया गया. खैर, पूछने पर जवाब तो बड़ा सीधा सा आता है लेकिन काम कुछ भी नहीं. सरकार को दिखाने के लिए कुछ अधिकारी काम तो शुरु करते हैं लेकिन उस काम को अधूरा ही छोड़ दिया जाता है.

अब ये जान लीजिए संवेदक को टॉयलेट तैयार करने के बाद NOC भी दे दिया गया. यानी पैसे का भुगतान भी हो गया. लेकिन चालू नहीं किया जा सका. इसमें टाइल्स लगे हैं और बिजली का कनेक्शन भी है. बोर्ड, स्वीच सब है. दरवाजे भी हैं और उसकी छिटकिनियां भी सही सलामत. इन सबके बावजूद ये टॉयलेट बस लोगों के देखने और सरकार को दिखाने के लिए है. आइए और देखिए कि सरकार कैसे काम करती है जनता के पैसे का मजाक देखिए. दोनों पार्षदों ने आश्वासन दिया कि जल्द टंकियों तक पानी पहुंचाने का इंतजाम वे करेंगे? अब तक क्या कर रहे थे, इसका ठोस जवाब इनके पास नहीं है.

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