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‘प्ली बार्गेनिंग’ पर हाई कोर्ट ने मांगी केंद्र और राज्य की राय, 29 लाख आपराधिक मामलों की सुनवाई को लेकर बड़ा फैसला

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NEWSPR डेस्क। पटना बिहार की विभिन्न अदालतों में लंबित 29 लाख आपराधिक मामलों के बोझ को कम करने के लिए प्ली बार्गेनिंग कानून लाने की मांग वाली एक याचिका की सराहना करते हुए पटना उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को राज्य और केंद्र सरकारों से 29 नवंबर तक अपनी-अपनी प्रतिक्रिया देने को कहा मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की खंडपीठ ने कौशिक रंजन की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इस मुद्दे पर उच्च न्यायालय प्रशासन, बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और बिहार राज्य बार काउंसिल से भी जवाब मांगा है।

प्ली बार्गेनिंग एक कानूनी प्रावधान
प्ली बार्गेनिंग एक कानूनी प्रावधान है। जिसमें कम सजा (सात साल से कम) के आपराधिक मामले अभियोजन पक्ष और अभियुक्त के बीच तय किए जाते हैं। यदि बाद वाला अपना अपराध स्वीकार करता है और सजा में रियायत की मांग करता है। उसके बाद कोर्ट अभियुक्त की दी गई दलील की योग्यता और वास्तविकता पर विचार करने के बाद, अभियुक्त की काटी गई सजा की अवधि को घटी हुई सजा के खिलाफ समायोजित करता है। उसके बाद सजा की अवधि को कम करके उसका निस्तारण किया जाता है। मामूली अपराध के मामले में अदालत आरोपी को समझाने के बाद रिहा कर देती है।

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वकील ने दिया तर्क
याचिकाकर्ता की वकील शमा सिन्हा ने अदालत को बताया कि एक दशक से अधिक समय पहले केंद्र सरकार ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता में नई अवधारणा पेश की। उन्होंने तर्क देते हुए कहा कि हालांकि, ये नया कानून कुल आपराधिक मामलों के 10% मामलों में मुश्किल से लागू होता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में, 90% आपराधिक मामले परीक्षण शुरू होने से पहले दलील सौदेबाजी के माध्यम से सुलझाए जाते हैं। सिन्हा ने उच्च न्यायालय से आग्रह किया कि वो प्ली बार्गेन तकनीकों को विनियमित करने और लागू करने के लिए नियम बनाए। उन्होंने आगे कहा कि पंचायत अधिकारियों को इस नए कानून पर प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि ग्राम कचहरी पर लंबित मामलों का बोझ कम किया जा सके।

क्या होती है प्ली बारगेनिंग
प्ली बार्गेनिंग उसे कहते हैं, जिसमें किसी व्यक्ति की ओर से किया गया ऐसा अपराध जिसकी सजा 7 साल या उससे कम है या अभियुक्त ने पहली बार अपराध किया है। वो अपनी सजा कम करने के लिए मजिस्ट्रेट के समक्ष आवेदन कर सजा में सौदेबाजी कर सकता है। छोटे अपराधों में पीड़ित और अभियुक्त आपसी सामंजस्य से सौदेबाजी कर सकते हैं। इसे ही प्ली बार्गेनिंग कहा जाता है। इसके लागू हो जाने से ऐसे अपराधियों को छोड़ दिया जाता है, जो अपनी गलती स्वीकार कर लेते हैं। इसमें ये भी प्रावधान है कि ये किसी आरोपी को एक बार ही मिल सकता है।

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