पटना में अतिक्रमण हटाने में लापरवाही पर हाईकोर्ट सख्त, DM को 8 हफ्ते का अल्टीमेटम!

Jyoti Sinha

पटना के विभिन्न इलाकों में सरकारी जमीनों पर हो रहे अतिक्रमण को लेकर पटना हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। जस्टिस पी. बी. बजंथरी की खंडपीठ ने डॉ. अमित कुमार सिंह द्वारा दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए जिलाधिकारी, पटना को आठ सप्ताह के भीतर प्रभावी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने जताई नाराजगी, केंद्र को मामला सौंपने की चेतावनी

कोर्ट ने अतिक्रमण हटाने में प्रशासन की निष्क्रियता और हटाए गए स्थानों पर दोबारा अतिक्रमण होने को लेकर नाराजगी जताई। पीठ ने स्पष्ट किया कि यदि तय समय सीमा में कार्रवाई नहीं होती है, तो यह मामला केंद्र सरकार को सौंपा जा सकता है।

2019 के आदेश की अनदेखी के बाद दायर हुआ अवमानना वाद

इस मामले की शुरुआत 2019 में हुई थी, जब हाईकोर्ट की खंडपीठ ने अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था। लेकिन आदेश का अनुपालन न होने पर डॉ. अमित कुमार सिंह ने अवमानना याचिका दायर की। इससे पहले, 2018 में उन्होंने जिलाधिकारी को आवेदन देकर अतिक्रमण से जुड़ी जानकारी दी थी।

शराबबंदी वाले राज्य में खुलेआम शराब की बिक्री, कई इलाके अतिक्रमण से जकड़े

याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि पटना के खलीलपुर (थाना संख्या 54), शेवरीनगर, पाटलिपुत्र स्टेशन के पश्चिम, आशियाना मोड़ से दीघा, राजापुर, ज्ञानगंगा बुक स्टॉल से श्यामल हॉस्पिटल तक, और लोजपा कार्यालय से पूर्व सचिवालय तक सैकड़ों अवैध झोपड़ियाँ और निर्माण हैं। इनमें कई जगहों पर खुलेआम शराब पीने और बेचने की बात भी कही गई, जबकि राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू है।

अधिकारियों की मिलीभगत से फिर होता है अतिक्रमण: याचिकाकर्ता

वरिष्ठ अधिवक्ता संजीव कुमार मिश्र ने कोर्ट को बताया कि अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई केवल कागजों तक सीमित है। भौतिक रूप से जमीन खाली नहीं कराई गई है और अधिकारियों की मिलीभगत से अतिक्रमण दोबारा हो जाता है। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि हाईकोर्ट ने पूर्व में अरुण कुमार मुखर्जी केस में यह व्यवस्था दी थी कि दोबारा अतिक्रमण होने पर संबंधित थानाध्यक्ष को जिम्मेदार माना जाएगा।

सरकार ने दिया जवाब, 8 हफ्ते बाद फिर होगी सुनवाई

सरकारी पक्ष की ओर से अपर महाधिवक्ता खुर्शीद आलम और अधिवक्ता शैलेन्द्र कुमार द्विवेदी ने अदालत में अपना पक्ष रखा। जिला प्रशासन की ओर से दाखिल हलफनामे में दावा किया गया कि कुछ अतिक्रमण हटाए गए हैं। हालांकि कोर्ट ने इसे नाकाफी मानते हुए आगे की कार्रवाई के लिए 8 सप्ताह की मोहलत दी है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 8 हफ्ते बाद होगी।

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