मैं खाकी हूं अपनों को रोता छोड़ आया हूं, मोरबी के इन तीन जांबाजों को सलाम कीजिए

Patna Desk

NEWSPR डेस्क। मोरबी, 11 नवंबर अपनों के लिए हर वादे तोड़ के आया हूँ, मैं खाकी हूँ, आपके लिए अपनों को रोता छोड़ आया हूं। इन तीन जांबाजों के लिए तारीफी शेर शायद कम पड़ जाए। 31 अक्टूबर की शाम 6.40 बज रहे थे जब मोरबी के इस पुलिस स्टेशन में पहला फोन आया। झूलता हुआ पुल गिर गया है। 500 लोग मच्छू नदी में डूब रहे हैं। कुछ कीजिए प्लीज। और ये निकल पड़े उस अंधियारे को चीर दरिया के बीच जलकुंभियों के नीचे थम रही सांसों को सहारा देने। दिलेरी की नई कहानी लिखने वाले ये जांबाज 15 मिनट के भीतर गटर के पानी से भरे मच्छू नदी में गोता लगा रहे थे। मिलिए सबसे पहले विजय भाई पर्वत भाई चावड़ा से।

विजय भाई कहते हैं – उस रात हम सो नहीं पाए। दरिया से निकलने के बाद रात भर अस्पताल में कागजी काम काज में लगे रहे। हमें शाम साढ़े छह, पौने सात बजे के करीब सबसे पहले हादसे का पता चला। 10 मिनट में पहुंच गए। बहुत सारे लोग चिल्ला रहे थे। बच्चे-बूढ़े सब बचाओ-बचाओ चिल्ला रहे थे। पुल टूटा हुआ था। हम सब तैरने वाले कूद गए। हमने बहुत सारे लोगों को जिंदा निकाला। जब हम नदी में कूदे तो कुछ लोग मर चुके थे और कुछ जीवित थे। हमने सबसे पहले जिंदा लोगों को निकाला।

बहुत सारे लोग चिल्ला रहे थे। बच्चे-बूढ़े सब बचाओ-बचाओ चिल्ला रहे थे। पुल टूटा हुआ था। हम सब तैरने वाले कूद गए। हमने बहुत सारे लोगों को जिंदा निकाला। जब हम नदी में कूदे तो कुछ लोग मर चुके थे और कुछ जीवित थे। हमने सबसे पहले जिंदा लोगों को निकाला।
कांस्टेबल विजय

विजय भाई के साथ कांस्टेबल प्रदीप सिंह भाई सिंह झाला और अजय सिंह झाला भी वहां कूदे। प्रदीप सिंह बताते हैं – हम तो सबसे पहले भगवान से प्रार्थना करते हैं कि जिन्हें हम बचा नहीं सके उनकी आत्मा को ईश्वर शांति दे। जब हम वहां पहुंचे तो जो दृश्य देखा कि पुल के टूटे हुए सिरे से लोग लटके हुए थे। हमने कुछ भी सोचे बिना पानी के अंदर छलांग लगा दी क्योंकि चहां से छलांग लगाई वो 20 फुट ऊंचा है। हम लोगों को खींचते गए। जितना हो सके। पहले तो कुछ नहीं था लेकिन बाद में रस्सियां मिलीं।

अजय सिंह झाला बताते हैं – बाहर निकालने के बाद डेड बॉडी को देख हमारी रूह कांप गई। वो हादसा बहुत भयानक था। उसकी याद आती है तो सो नहीं पाते। प्रदीप कहते हैं कि उन्होंने अपनी लाइफ में ऐसा हादसा नहीं देखा। अफसोस इस बात का है कि इतने लोगों की जान चली गई जिन्हें हम नहीं बचा पाए। ये कहते कहते उनका गला भर जाता है। कांस्टेबल विजय कहते हैं कि ऐसे हादसों के दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए। जांच पर कुछ नहीं कहेंगे क्योंकि बड़े अधिकारी इसे देख रहे हैं।

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