NEWSPR DESK- कोरोना की लहर बेहद जालिम बनकर आई है। यह शहर से लेकर गांव तक जुल्म ढ़ा रही है। इसके जुल्म से जो बच गया वो खुशनसीब और जो नही बचा वो बदनसीब। ऐसा ही ताजा मामला बिहार के औरंगाबाद का है, जहां देव प्रखंड के केसौर गांव में कोरोना ने हाल फिलहाल दस लोगो को मौत की नींद सुला दिया है।
केसौर गांव में कोरोना का कहर बरपने के बाद भी यहां सरकारी बदइंतजामी साफ झलकती है। सरकारी कर्तव्य के नाम पर सिर्फ गांव को कंटोनमेंट जोन बनाकर इतिश्री कर ली गई है। अकेले इस गांव में दस मौते होने के बावजूद न यहां के लोगो की कोरोना जांच हो रही है और न ही कोविड टीकाकरण किया जा रहा है। हद तो यह है कि कोरोना पॉजीटिव लोगो के परिजन खुद ही सरकारी अस्पतालों का चक्कर काटकर कोरोना की दवा लाने को मजबूर है।
केसौर के ग्रामीणों के अनुसार 65 वर्षीय गिरजा ठाकुर की मौत कोरोना संक्रमण से हुई। उन्हें सर्दी, बुखार एवं बदन दर्द था जांच में पॉजिटिव पाये गए। उन्होने 29 अप्रैल को अंतिम सांस ली। दूसरी मौत तीन दिन पहले सियाराम साव के 17 वर्षीय पुत्र बबलू कुमार की हुई। उसे सांस लेने में परेशानी हो रही थी। इसी तरह अबतक कुल मिलाकर गांव में दस मौते हुई है। ग्रामीणों का आरोप है कि यहां कोरोना संक्रमण की जांच नहीं हो रही है। इस कारण यह स्पष्ट रूप से पता नहीं चल पा रहा है कि वास्तव में कितने लोग कोरोना पॉजीटिव है।
गांव का आलम यह है कि यहां शुरू में अधिकारी आये और गांव को कंटेनमेन्ट जोन बना दिया पर उसके बाद से आजतक कोई भी अधिकारी गांव की सुधी लेने तक नहीं पहुंचा है। वैक्सीनेशन एवं जांच भी यहां नहीं हुआ है। कोरोना संक्रमितों को कोई सुविधा स्वास्थ्य विभाग से उपलब्ध नहीं कराया है। कुछ ग्रामीणो ने कहा कि कई बार देव सीएचसी पर वैक्सीनेशन के लिए गए पर चिकित्सा पदाधिकारी के द्वारा वैक्सीन उपलब्ध नहीं होना बताया जाता है।
वही लोग वैक्सिनेशन की ऑनलाईन व्यवस्था से स्थान एवं समय निर्धारित नहीं होने के कारण वैक्सीन नहीं ले पा रहे है। गांव में कोरोना जांच, वैक्सिनेशन एवं अन्य सुविधाएं नहीं दी जा रही है। ग्रामीण अधिकारियों के लापरवाह रवैये को लेकर आक्रोशित है।
वही इस मामले में औरंगाबाद के जिलाधिकारी का कहना है कि केसौर में दो लोगो की ही मौत कोरोना से हुई है। वहां सभी आवश्यक प्रबंध किये गये है।
बहरहाल व्यस्थागत खामियों के दावों प्रतिदावों के बीच कोरोना की दूसरी लहर में पीस तो अवाम ही रह रहा है। ऐसे में अवाम के लिए मरहम और जीवन रक्षा का उपाय करना तो सरकारी महकमे की ही जिम्मेवारी है। यदि इस जिम्मेवारी का ही निर्वहन नही होगा तो अवाम का भगवान ही मालिक है।