पटना पुलिस लाइन में खाना बनाने न कपड़े सुखाने की जगह, सोना भी मुश्किल, पुरुष- महिला जवानों का हाल बेहाल

Patna Desk

NEWSPR डेस्क। पटना कहते है की जिस कंधो पर जनता की सुरक्षा की जिम्मेवारी दी गई है अगर वही कंधा डगमगा जाए तो उसे क्या कहियेगा। ये मैं नहीं कह रहा हूँ बल्कि पटना पुलिस का कहना है. एक तरह से देखा जाए तो पुलिसकर्मी हमारे सुरक्षा के लिए दिन रात तत्पर रहते है, और उन्हें ही अगर व्यवस्था नहीं दिया जाये तो वे कैसे रहेंगे। करीब तीन फुट चौड़ी- छह फुट लंबी चौकी. उसके ऊपर एक रस्सी. इस पर कुछ गीले-कुछ सूखे कपड़े सूख रहे हैं. चौकी के नीचे एक बक्सा रखा है. उसके बगल में छोटे सिलेंडर वाला चूल्हा है. इस छोटे से हाल में क्षमता से अधिक बेड बिछे हैं. दो बेड के बीच दो फुट की भी दूरी नसीब नहीं है. यह हाल है पटना पुलिस लाइन का. यहां सिपाहियों के लिये मानक के अनुसार संसाधन तक नहीं हैं. पुलिस लाइन के पक्के भवनाें के गेट से लेकर गेलरी तक में सोने को जगह मिल जाये इस जुगत में पुलिस कर्मी दिन-रात जागने को विवश हैं.

पुलिस कर्मियों को नये भवन में शिफ्ट होने से पहले ही टेंट हटा दिया गया है. इससे करीब 250 जवान परेशान हैं. कुछ पुलिस कर्मियों को पक्के भवन में जगह मिल गयी है लेकिन होमगार्ड खुले में आ गये हैं. शुक्रवार को तपती दोपहरी में बांस और तिरपाल पन्नी से छत ढाल रहे होमगार्ड अरविंद निराला, महेंद्र यादव श्याम देव ठाकुर आदि ने बताया कि एक दिन की तनख्वाह 774 रुपये है. पुलिस लाइन के आसपास चार हजार से कम में एक छोटा कमरा भी नहीं मिलता.

महिला पुलिस कर्मियों को सबसे अधिक दिक्कत शौचालय की है. एक महिला सिपाही का कहना था कि यहां ही नहीं थाना में भी अलग से शौचालय और स्नानागार पर्याप्त नहीं हैं. हालांकि सरकार प्रयास कर रही है. इस समस्या को दूर करने के लिए डीजीपी ने 20 जून 2019 को गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखा था. मुख्यमंत्री ने 2019 में ही थानों में दो-दो शौचालय, दो-दो स्नानागार निर्माण की स्वीकृति दे दी थी.

इस मामले में अधिकारी भी अपनी जिम्मेदारी से बच रहे हैं. रक्षित पदाधिकारी के छुट्टी पर होने के कारण उनका प्रभार देख रहे परिचारी प्रवर प्रेम कुमार का कहना था कि वह कुछ नहीं कह सकते. पुलिस लाइन में सिपाहियों की समस्याओं को दूर करने के लिये डे व्यवस्था है. शुक्रवार को सिटी एसपी (वेस्ट) का दिन था. वह ऑफिस में फाइलों का निस्तारण कर रहे थे. समस्याओं पर बात करने से उन्होंने इन्कार कर दिया था.

पटना की 230 महिला सिपाहियों की बैरक में रहने वाली पुलिसकर्मी को खाना बनाना, सोना और कपड़े सुखाना इसी बेड की सीमा में करना है. कई पुलिस कर्मी तो बेड के लिए जगह न होने के कारण मजबूरन बेड शेयर कर रह रही हैं. बेड का दायां भाग एक सिपाही और बायें भाग पर दूसरी सिपाही अपने सामान के साथ किसी तरह एडजेस्ट कर रही है. जी प्लस थ्री फ्लोर की इस इमारत के भूतल पर HRMS का ऑफिस खोल दिया गया है. इसमें पुरुष पुलिसकर्मी भी तैनात हैं. अपनी पहचान छिपाने की शर्त पर एक महिला सिपाही ने कहा हमारे लिए वह दिन बड़ा अच्छा होता है, जब गैलरी में कपड़े सुखाने के लिए जगह मिल जाती है. बारिश और ठंड के दिनों मे अंदर के कपड़े दो से तीन दिनों में सूखते हैं.

बिहार पुलिस भवन निर्माण निगम के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक डीजी विनय कुमार ने बताया कि पुलिस लाइन में आधुनिक तरीके से एक हजार महिला और 1400 पुरुष सिपाहियों के लिए आधुनिक बैरक बन रहे हैं. महिलाओं के लिए सितंबर तक बैरक बन जायेंगे. नये थाना भवनों में एक फ्लोर महिला पुलिस कर्मियों के लिए रहेगा. उसमें सभी सुविधाएं होगी. इसके अलावा बिहार पुलिस भवन निर्माण निगम पटना, शेखपुरा, किशनगंज और नवगछिया में पुलिस लाइन का निर्माण करा रहा है. पटना जिलान्तर्गत विशेष सुरक्षा दल के लिए अलग से बैरक और आवास बन रहे हैं. इसके अलावा 432 लोअर सबोर्डिनेट आवास, 212 अपर सबोर्डिनेट आवास तथा 9598 सिपाहियों के लिए बैरक भी बन रहे हैं.

पटना से विक्रांत की खास रिपोर्ट…

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