ज्यादा दूध पाने के लालच में, पशुओं को खिलाया जा रहा बीयर का अपशिष्ठ

Sanjeev Shrivastava

NEWSPR डेस्क। दूध की मात्रा बढ़ाने के लिए पशु पालक तरह-तरह के हथकंडे अपनाते हैं। दूध का कारोबार करने वाले दूध में पानी, पशुओं को इंजेक्शन के अलावा दूध की मात्रा बढ़ाने के लिए यूरिया और डिटर्जेंट तक मिलाने से नहीं चूकते, जो कि हमारी सेहत के लिए बहुत खतरनाक है। अब दूध बढ़ाने का एक और नायाब तरीका पशु पालकों ने खोज निकाला है। पशुपालकों ने अपनी गाय और भैंसों को बीयर का मलबा यानी राप (बीयर बनाने की प्रक्रिया के बाद बचा अपशिष्ट) खिलाना शुरू कर दिया है। इसके बाद गाय और भैंस 3 से 4 लीटर यानी दोगुना से अधिक दूध देने लगी है। क्षेत्र के कई किसान अब इस राप का उपयोग कर रहे हैं, किंतु पशुओं को राप खिलाना हानिकारक हो सकता है या नहीं, इस पर अभी कोई शोध नहीं हुआ है।

अधिक दूध पाने के लालच में पशु पालक पशुओं के जिंदगी के साथ मनुष्य जीवन को दांव पर लगा रहे हैं। एक जानकारी में मालूम हुआ है कि क्षेत्र में बड़ी मात्रा में राप का विक्रय होता है। डेयरी संचालक एवं किसान रामलाल यादव ने अपने अनुभव के आधार पर कहा कि अपनी डेयरी फार्म पर राप खिलाने वाले किसानों से बिल्कुल भी दूध नहीं ले रहे हैं। यादव ने बताया कि दूध की गुणवत्ता की कमी के साथ उसमें बदबू आना साफ दर्शाता है कि किसान राप खिला रहा है। दूध दूसरे दिन बदबू करने लगता है। फैट कम बैठता है। मलाई भी नहीं देता है। मैंने पिछले दिनों 10 लीटर दूध देने वाली दो भैंसें खरीदी हैं। घर लाने पर वह मात्र 5-6 लीटर दूध देने लगी। जिन्होंने बेचा था, उनसे पूछा तो उसने राप खिलाना कबूल किया।

दूध व्यापार से जुड़े विकास शर्मा बेगंदा ने बताया कि उन्होंने गिर गाय पाल रखी है। गायों में गिर गाय का अपना महत्व होता है। इससे निकलने वाला दूध अमृत होता है। इसके पालने के लिए मैंने कई जानकारी जुटाई। इसमें पाया कि क्षेत्र में कई लोग बीयर की राप पशुओं को खिला रहे थे। जब इसके खिलाने पर विचार किया, तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए, जो लोगों के स्वास्थ्य के साथ पशुओं के लिए भी अधिक हानिकारक है। राप के खिलाने से कई बार पशु की प्रजनन क्षमता बिगड़ती है।

बिखरौन ग्राम के किसान अलकेश पटेल ने बताया कि 18 साल से पशुपालन कर रहा हूं। क्षेत्र में दूर तक दूध विक्रय के लिए मैं स्वयं जाता हूं। मैं पशुओं को खल काकड़ा के अलावा कुछ भी सेवन नहीं करवाता हूं। राप के बारे में जानकारी मिली थी, लेकिन इसके विपरीत प्रभाव के चलते इसे कभी भी पशुओं को नहीं खिलाया। जो बीयर जौ से बनाई जाती है। उसमें से करीब 30 फीसद मलबा बच जाता है, जिसका ज्यादातर हिस्सा पानी के रूप में होता है। इस पानी को किसी भी चारे में मिलाकर गाय और भैंसों को खिला दिया जाता है।

पशु चिकित्सक डॉ. प्रियंका बघेल ने बताया कि पशुओं को बीयर की राप खिलाने को लेकर कोई भी अधिकारी जानकारी नहीं है। जनचर्चा में मालूम हुआ है कि राप के खिलाने से पशु का शरीर दुबला हो जाता है। हालांकि इसकी कोई पुष्टि नहीं हुई है। धार के वरिष्ठ वैज्ञानिक केएस किराड़ का कहना है कि इस पर अभी कोई रिसर्च नहीं हुआ है, किंतु यदि पशुपालकों को राप खिलाने पर विपरीत स्थिति बन रही है, तो उसे लेकर जागृत होने की जरूरत है। दूध में भी यदि शिकायत आ रही है, तो आमजन ध्यान दें। राप के खिलाने या न खिलाने पर कोई शोध नहीं हुआ है।

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