NEWSPR /DESK : पटना। बढ़ती महंगाई ने आर्थिक रूप से कमजोर गैस उपभोक्ताओं के लिए नई मुसीबत खड़ी कर दी है। डीजल व पेट्रोल की कीमत बढऩे से माल ढुलाई का खर्च बढ़ा तो खाद्य सामग्री के दाम आसमान पर पहुंच गए। अब रसोई गैस की कीमत में भी 25.50 रुपये वृद्धि होने से किचन में आग लग गई है। गैस का दाम बढऩे से जहां गृहस्थी पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है, वहीं बजट एवं व्यंजन का जायका बिगडऩे लगा है। उज्ज्वला योजना के अधिकांश उपभोक्ताओं ने सिलेंडर में गैस भरवाना बंद कर पारंपरिक संसाधन लकड़ी, गोंइठा व कोयला की ओर बढ़ चले हैं।
स्थानीय लोगों के अनुसार गैस सिलेंडर की मूल्य वृद्धि से निम्न व मध्यम वर्ग की गृहस्थी बिगड़ रही है। यदि हालात ऐसे ही रहे तो एक बार फिर कोयला, लकड़ी, गोइठा जैसे पारंपरिक साधनों पर खाना पकाने के लिए लोगों को मजबूर होना पड़ेगा।
उज्ज्वला योजना के लाभुकों की बढ़ी परेशानी :
सरकार ने गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों को सुविधा प्रदान करने व पर्यावरण संरक्षण के लिए उज्ज्वला योजना की शुरुआत की थी। लेकिन गैस के दाम में बेतहाशा वृद्धि से महिलाएं परेशान हो गई हैं। आर्थिक तंगी से जूझ रहे उज्ज्वला योजना के लाभुकों को गैस सिलेंडर भरवाना किसी चुनौती से कम नहीं है। कई महिलाएं पुन: लकड़ी पर खाना पकाने लगी हैं। उनके अनुसार पहले रसोई गैस की कीमतें बढ़ती थीं, तो बैंक अकाउंट में थोड़ी बहुत सब्सिडी वापस आने से लोगों कुछ राहत थी। लेकिन अब वह भी कम होती जा रही है।
नौ महीने में बढ़ा 243 रुपये दाम :
रसोई गैस की कीमतों में फिर इजाफा हुआ है। शहरी व ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं का कहना है कि घर का बजट बिगड़ गया है। सितंबर-अक्टूबर में यही गैस सिलेंडर 692 रुपये में मिल रहा था, जिस पर 100 रुपये से अधिक सब्सिडी भी मिलती थी। आज उसकी कीमत 935 रुपया के करीब पहुंच रहा है और सब्सिडी भी घट गया है। ऐसे में घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है।