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बिहार में अमानवीयता: नर्सिंग होम वालों ने इंसानियत को ताक पर, महज 10 घंटे के लिए अस्पताल ने वसूले 1.15 लाख

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Patna Desk: कोरोना संक्रमण के दौरान इलाज के नाम पर चारों ओर लूट मची है. पैसे के आगे नर्सिंग होम वालों ने इंसानियत को ताक पर रख दिया है. आज के समय में जानवर और इंसान के बीच शायद कोई फर्क नहीं रहा. तभी तो चारो तरफ लूट मची हुई है. दरअसल एक ऐसा ही ताजा मामला पटना के रामकृष्णानगर थाना इलाके से आ रही है जहां वैशाली के एक कोरोना मरीज के परिजनों से नर्सिंग होम ने महज 10 घंटे में 1 लाख 15 हजार रुपये लूट लिए. हैरानी वाली बात ये है कि ये अस्पताल कोरोना मरीजों के लिए निर्धारित भी नहीं है.

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दरअसल हुआ यूं कि, मेडिवर्ल्ड हॉस्पिटल नर्सिंग होम में जब मरीज की तबीयत में सुधार होता नहीं दिखा तो परिजनों ने उन्हें यहां से शिफ्ट कराने की बात सोची, लेकिन अस्पताल वालों ने पांच घंटे तक एंम्बुलेंस का इंतजाम नहीं करवाया. जिसके बाद परिजनों को खुद से एम्बुलेंस का इंतजाम करना पड़ा. हालांकि इस एम्बुलेंस वाले ने भी सिर्फ 1.5 किलोमीटर जाने के 10 हजार रुपये की मांग की. परिजनों से पुछने पर बताया कि वैशाली से पटना आने तक चार नर्सिंग होम बदले हैं जिसमें 5 लाख रुपया अभी तक खर्च हो चुका है. उसके बाद पटना के कोविड शिकायत टोल फ्री नंबर पर इसकी शिकायत कि तब जाकर मेडिवर्ल्ड हॉस्पिटल पर छापा मारा गया.

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इधर, जब मामले की जांच की गई तो पता चला कि जिन अस्पतालों को कोरोना मरीजों की भर्ती के लिए सरकार की ओर से जो लिस्ट जारी की गई है उसमें उसका नाम तक नहीं है. जिसके बाद जिलाधिकारी के निर्देश पर मजिस्ट्रेट ने निजी अस्पताल और निजी एम्बुलेंस द्वारा सरकारी निर्धारित दर से अधिक राशि की वसूली संबंधी शिकायत की जांच की तो पचा चला कि पटना बाईपास रामकृष्णा नगर स्थित मेडिवर्ल्ड हॉस्पिटल द्वारा मरीज के परिजन से सरकारी निर्धारित दर से अधिक राशि लेने संबंधी शिकायत वैशाली के विजय कुमार सिंह द्वारा दर्ज कराई गई थी वो सही निकली.

मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन के धावा दल द्वारा त्वरित कार्रवाई करते हुए अस्पताल प्रशासन के खिलाफ परिजनों और जिला दल द्वारा FIR दर्ज की गई. जांच में पाया गया कि मेडिवर्ल्ड हॉस्पिटल द्वारा मरीज के परिजन से 1,15,000 की राशि वसूली गई जबकि रसीद मात्र 50,000 रुपये की ही दी गई.

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साथ ही मेडिवर्ल्ड अस्पताल कोविड मरीजों के इलाज हेतु सूचीबद्ध भी नहीं है. मामले की गंभीरता को देखते हुए धावा दल के मजिस्ट्रेट गौरव रंजन कुमार, प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी संपतचक द्वारा राम कृष्णा नगर थाना में भारतीय दंड संहिता, आपदा प्रबंधन अधिनियम तथा महामारी एक्ट की सुसंगत धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है. साथ ही जिला प्रशासन के धावा दल द्वारा निजी नर्सिंग होम को सख्त हिदायत दिया गया है कि वो सरकार द्वारा कोरोना मरीजों के लिए निर्धारित शुल्क से ज्यादा ना लें वरना पकड़े जाने पर अनुशासनिक कठोर करवाई की जाएगी.

कोरोना मरीज विजय कुमार सिंह के परिजन रणविजय ने बताया कि मेरे मौसा का तबीयत अचानक बिगड़ गई. उनका गांव वैशाली जिले के सालखण्डी में है. नजदीक के डॉक्टर से उनका इलाज कराया गया तो उस डॉक्टर ने बताया कि टायफाइड हो गया है और उन्हें घर भेज दिया. लेकिन बाद में उनकी तबीयत जब ज्यादा बिगड़ने लगी तो उसी डॉक्टर ने हाजीपुर के सिद्धि विनायक में भर्ती करवाने को कहा.

रणविजय ने कहा कि सिद्धि विनायक नर्सिंग होम वालों ने कई बार कहने के बाद भी कोरोना का जांच नहीं करवाया और 8 दिनों में 1 लाख अस्सी हजार रुपया ले लिए. वहां स्थिति ठीक नहीं होने पर हाजीपुर में ही आदर्श नर्सिंग होम गए और वहां भी 10 घंटा रहे तो 80 हजार रुपया खर्च ले लिया. नर्सिंग होम वालों ने जब तबीयत ठीक नहीं हुई तो उसने पटना के मेडिवर्ल्ड नर्सिंग होम जाने की सलाह देकर पटना भेज दिया.

उन्होंने बताया कि यहां 17 तारीख की शाम को पहुंचे जहां 1 लाख 15 हजार रुपया महज 10 घंटे के अंदर ले लिया. लेकिन यहां मौसा का ऑक्सीजन लेवल काफी नीचे गिर गया, तो हम लोगों ने यहां से भी मरीज को शिफ्ट कराने की सोची तो नर्सिंग होम वालों ने एम्बुलेंस वालों को सिखा दिया और पांच घंटे तक हमें इंतजार करवाया, लेकिन जब बात नहीं बनी तो, हम लोग अपने से किसी प्रकार एम्बुलेंस ठीक किए. एम्बुलेंस वालों ने 1.5 किलोमीटर जाने का 10 हजार रुपया चार्ज किया. अब हमारा मरीज जगदीश नर्सिंग होम कंकड़बाग में है वहां उनकी हालत अब ठीक है. फिर इसकी शिकायत मैंने कोविड शिकायत केंद्र के टोल फ्री नंबर पर की और फिर छापा मारा गया.

मजिस्ट्रेट गौरव रंजन (पटना जिला धावा दल) ने कहा कि वैशाली के विजय कुमार सिंह के परिजनों द्वारा WhatsApp पर शिकायत की गई थी जिसके बाद जिलाधिकारी के निर्देश पर पटना के रामकृष्णानगर थाना इलाके के बाईपास पर मेडिवर्ल्ड अस्पताल में छापामारी की गई. वहां करीब डेढ़ घंटा रहे, लेकिन अस्पताल प्रबंधन की तरफ से कोई बात करने नहीं आया. जिसके बाद जिलाधकारी के निर्देश पर अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ FIR दर्ज की जा रही है.

उन्होंने बताया कि परिजनों की शिकायत थी कि इस नर्सिंग होम वालों हमारे मरीज से करीब 1 लाख 15 हजार रुपया ले लिया था जबकि जांच के दौरान पाया गया कि सरकार द्वारा घोषित नर्सिंग होम में इस नर्सिंग होम का नाम ही नहीं है, फिर भी कोरोना के मरीज को यहां कैसे भर्ती किया गया. रसीद भी सिर्फ 50 हजार रुपया का ही दिया गया है. साथ ही एक एम्बुलेंस वाले ने निर्धारित राशि से ज्यादा वसूली की है. सभी बिंदुओं पर जांच की जा रही है और निर्धारित कानून के हिसाब से अस्पताल पर कार्रवाई की जाएगी.

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