पटना डेस्क
पटना: बिहार के युवा सिर्फ सीमाओं पर ही नहीं, टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भी चीन को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। देश में चल रहे चाइनीज ऐप्स के बहिष्कार के अभियान और केंद्र सरकार द्वारा 59 चायनीज ऐप्स को बैन किये जाने के बाद ‘मेड इन इंडिया’ ऐप्स बड़ी तेजी से डिमांड में आये हैं। इसी क्रम में दो बिहारी युवाओं का बनाया ‘मैगटैप’ (MagTapp) नामक वेब ब्राउज़र गूगल प्ले स्टोर पर खूब डाउनलोड किया जा रहा है। इस ऐप में यूसी ब्राउज़र के साथ ही ऐसे कई चाइनीज ऐप्स का काम अकेले करने की क्षमता है।
गूगल प्ले स्टोर पर लॉन्चिंग के कुछ महीनों में ही इसे 10 लाख से ज्यादा बार डाउनलोड किया जा चूका है और फिलहाल इसकी रेटिंग 4.9 है। प्ले स्टोर पर एजुकेशन कैटेगरी में यह ऐप दुनिया भर में पहले नंबर पर है। हाल ही में इसका वर्जन 2 भी लांच किया गया है। वर्जन 2 के लांच होने और फिर चायनीज ऐप्स पर बैन के बाद ‘मैगटैप’ को 2.5-3 लाख के करीब डाउनलोड किया गया है।
ऐप से जुड़े सत्यपाल चंद्रा बताते हैं कि ‘मैगटैप’ पूरी तरह से मेड इन इंडिया तो है ही, साथ में यह अपने तरह का दुनिया में पहला प्रयोग है। ‘मैगटैप’ एक ‘विजुअल ब्राउज़र’ के साथ-साथ डॉक्यूमेंट रीडर, ट्रांसलेशन और ई-लर्निंग की सुविधा देने वाला अनोखा ऐप है। इस ऐप को ख़ास तौर पर देश के हिंदीभाषी स्टूडेंट्स को ध्यान में रखकर बनाया गया है। वे कहते हैं कि इंटरनेट पर अधिकतर अच्छी जानकारियां इंग्लिश में ही हैं। ऐसे में उन्हें पढ़ते वक़्त यह ऐप किसी भी शब्द, वाक्य या पूरे पैराग्राफ को भी हिंदी सहित देश की 12 भाषाओँ में अनुवाद कर सकता है साथ में कोई भी दूसरे ऐप जैसे व्हाट्सऐप, फेसबुक, मैसेंजर आदि में भी किसी शब्द पर टैप कर उसका अर्थ जाना जा सकता है। इतना ही नहीं, इस ऐप पर बच्चों से लेकर बैंक, रेलवे और यूपीएससी लेवल तक के कम्पटीशन एग्जाम की तैयारी करने लायक स्टडी मटेरियल टेक्स्ट और वीडियो फॉर्मेट में बिलकुल मुफ्त में उपलब्ध है।
‘मैगटैप’ को डेवलप करने वाले रोहन कुमार ने बताया कि उन्होंने अभी ही इसका अपडेटेड वर्जन ‘मैगटैप 2.0’ लांच किया है। इस नए अपडेट में कई और सुविधाएं जोड़ी गयी हैं, जिससे यह ऐप चीन की यूसी ब्राउज़र के साथ ही गूगल के क्रोम और ओपेरा ब्राउज़र से भी बेहतर साबित होगा। उन्होंने बताया कि ऐप का ट्रांसलेशन फीचर अब 12 भारतीय भाषाओँ के साथ फ्रेंच, जर्मन, इटालियन और अरबी समेत 29 विदेशी भाषाओं में भी पल भर में अनुवाद कर सकेगा।
इससे भारत में हिंदी सहित कोई भी भाषा जानने वाले लोग अपने देश ही नहीं, बल्कि दुनिया भर की सभी मुख्य भाषाओँ को घर बैठे सीख सकते हैं। इनके अलावा इस नए अपडेट में आवाज से आवाज और चित्र से आवाज में अनुवाद की भी सुविधा दी गयी है। उनका कहना है कि दुनिया में कोई भी भाषा जानने वाला इंसान किसी भी दूसरी भाषा जानने वाले इंसान से बिना किसी दिक्कत के बात कर सके, यही उनका मूल मन्त्र है। ज्ञात हो कि
मैगटैप ऐप बनाने वाली कंपनी ‘मैगटैप टेक्नोलॉजी’ का मुख्यालय मुंबई में है। यह कंपनी भारत सरकार के स्टार्टअप योजना से भी जुड़ी है। कंपनी के दोनों फाउंडर, सत्यपाल चंद्रा और रोहन सिंह बिहार के गया तथा समस्तीपुर के रहने वाले हैं। ‘मैगटैप’ को रोहन ने डिजाईन किया है और इसके टेक्निकल पक्षों को संभालने में उनके 18 वर्षीय भाई अभिषेक सिंह मदद करते हैं।