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जालियांवाला बाग कांड: जदयू ट्रेडर्स प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष संजीव श्रीवास्तव ने शहीदों को किया नमन

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NEWSPR डेस्क। जलियांवाला बाग कांड हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में उच्चतम बलिदान का कभी ना मिटने वाला उदारहण है। 1919 में आज ही के दिन 13 अप्रैल को अंग्रेजी हुकूमत के द्वारा यह बर्बर हत्याकांड रचाया गया था। वहीं इस मौके पर जदयू ट्रेडर्स प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष संजीव श्रीवास्तव ने जालियांवाला बाग कांड में हुए शहीदों को नमन करते हुए विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित किया है।

बता दें कि देश की आजादी के इतिहास में 13 अप्रैल का दिन एक दुखद घटना के साथ दर्ज है। साल 1919 का 13 अप्रैल का दिन था, जब जलियांवाला बाग  में एक शांतिपूर्ण सभा के लिए जमा हुए हजारों भारतीयों पर अंग्रेज हुक्मरान जनरल डायर ने अंधाधुंध गोलियां बरसाई थीं। पंजाब के अमृतसर जिले में ऐतिहासिक स्वर्ण मंदिर के नजदीक जलियांवाला बाग नाम के इस बगीचे में अंग्रेजों की गोलीबारी से घबराई बहुत सी औरतें अपने बच्चों को लेकर जान बचाने के लिए कुएं में कूद गईं। निकास का रास्ता संकरा होने के कारण बहुत से लोग भगदड़ में कुचले गए और हजारों लोग गोलियों की चपेट में आए।

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दरअसल, उस दिन जलियांवाला बाग में अंग्रेजों की दमनकारी नीति, रोलेट एक्ट और सत्यपाल और सैफुद्दीन की गिरफ्तारी के खिलाफ एक सभा का आयोजन किया गया था। हालांकि इस दौरान शहर में कर्फ्यू लगा हुआ था। लेकिन कर्फ्यू के बीच हजारों लोग सभा में शामिल होने पहुंचे थे। कुछ लोग ऐसे भी थे जो बैसाखी के मौके पर अपने परिवार के साथ वहीं लगे मेले को देखने गए थे।

जब ब्रिटिश हुकूमत ने जलियांवाला बाग पर इतने लोगों की भीड़ देखी, तो वह बौखला गए। उनको लगा कि कहीं भारतीय 1857 की क्रांति को दोबारा दोहराने की ताक में तो नहीं। ऐसी नौबत आने से पहले ही वह भारतीयों की आवाज कुचलना चाहते थे और उस दिन अंग्रेजों ने क्रूरता की सारी हदें पार कर दी। सभा में शामिल नेता जब भाषण दे रहे थे, तब ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर वहां पहुंच गए। कहा जाता है कि इस दौरान वहां 5000 लोग पहुंचे थे। वहीं जनरल डायर ने अपने 90 ब्रिटिश सैनिकों के साथ बाग को घेर लिया। उन्होंने वहां मौजूद लोगों को चेतावनी दिए बिना ही गोलियां चलानी शुरू कर दी।

 

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