JEE एडवांस्ड में 9वां स्थान लाने वाले अर्णव आदित्य सिंह साइंटिस्ट बन देश की सेवा करना चाहते, घरवाले खुशी से फूले नहीं समा रहे, जानिए क्या कहते हैं घरवाले

Patna Desk

NEWSPR डेस्क। भोजपुर के शाहपुर स्थित ईश्वरपुरा गांव निवासी कंप्यूटर इंजीनियर सियाराम सिंह के बड़े बेटे अर्णव आदित्य सिंह ने JEE एडवांस्ड की प्रवेश परीक्षा के जारी परिणाम में पूरे भारत में 9 वां रैंक लाकर परिवार समेत पूरे जिले का नाम रौशन किया है।

अर्णव की इस बड़ी सफलता के बाद बधाई देने वाले लोगों का तांता उनके घर पर लगने लगा है। दरअसल बिते शुक्रवार को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी खड़गपुर ने जेईई एडवांस्ड 2021 की प्रवेश परीक्षा का रिजल्ट घोषित कर दिया है। जिसमें ऑल इंडिया में 9 वें स्थान भोजपुर के रहने वाले अर्णव आदित्य सिंह को मिला है। अर्णव और उनके माता पिता फिलहाल कोटा में हैं। उनके पैतृक आवास आरा के मंसा पांडेय बाग में दादा दादी और चाचा समेत कई लोग रहते हैं। जहां उनकी इस सफलता की जानकारी मिलने के बाद काफी खुशी देखने को मिल रही है।

होनहार छात्र अर्णव का जन्म 7 जुलाई 2004 को चेन्नई में हुआ था।अर्णव के जन्म के तुरंत बाद उनके पिता सियाराम सिंह और परिवार स्वीटजरलैंड चला गया। जहां शुरु में अर्णव की पढ़ाई स्वीटजरलैंड से हुई, जिसके बाद उनका परिवार पुनः भारत लौट आया और चेन्नई में शिफ्ट हो गया। जहां अर्णव ने मैट्रिक व इंटमिडिएट की पढ़ाई की। इसके साथ ही वो अब आईआईटी की तैयारी के लिए कोटा चले आए है। अर्णव आदित्य सिंह की मां व्यवसायिक कोर्स एमबीए कर अच्छी जॉब करती है और अर्णव दो भाईयों के बीच सबसे बड़े है जबकि उनका छोटा भाई तेजस सिंह भी फिलहाल पढाई कर रहे हैं।

कोटा से हुई तैयारी

अर्णव के पिता सियाराम सिंह बैंगलोर में कंप्यूटर इंजीनियर और बिहार बीजेपी आईटी प्रकोष्ठ के संयोजक भी हैं। जबकि अर्णव आदित्य सिंह के दादा जी आरा सिविल कोर्ट में वकिल है।जहां उन्होंने अर्णव आदित्य सिंह के बारे में बताते हुए कहा कि उनका परिवार पहले बैंगलोर रहता था,लेकिन अर्णव की पढ़ाई के लिए कोटा आ गए क्योंकि वहां भैतिकी और रासायनिक की पढ़ाई अर्णव के लिए काफी नहीं थी। इसलिए उनको कोटा आना पड़ा।

वैज्ञानिक बनना चाहते हैं अर्णव

अर्णव के दादा जी राजनाथ सिंह पेशे से वकील है। उनका कहना है कि उनके पोते ने 9वां स्थान लाकर पूरे परिवार का नाम रौशन कर दिया है। अर्णव बचपन से ही बहुत पढ़ने में तेज है। उनका बचपन से कहना था कि वो बड़े होकर बड़े लेवल के वैज्ञानिक बनना चाहते है। जिसके लिए वो बहुत मेहनत करते। उनके दादा ने बताया कि अर्णव की सभी पढ़ाई बैंगलोर से हुई लेकिन उनका जन्म चेन्नई में हुआ था। उस समय उनके पिता वहीं रहते थे लेकिन अब सारा परिवार बैंगलोर रहता है।

ओलंपियाड में हासिल किया था स्वर्ण

राजनाथ सिंह ने बताया कि कतर के दोहा में 2019 में आयोजित 16वें इंटरनेशनल साइंस ओलंपियाड में अर्णव स्वर्ण पदक जीते थे। उस दौरान 55 देशों के छात्रों ने उस ओलंपियाड में भाग लिया था। जिसमें अर्णव को गोल्ड प्राप्त हुआ था। इंटरनेशनल जूनियर साइंस ओलंपियाड के 16 साल के इतिहास में पहली बार भारत के सभी 6 छात्रों को गोल्ड मेडल हासिल हुआ था। कतर में 3 से 11 दिसम्बर तक हुई प्रतियोगिता में 55 देशों के 322 प्रतिभागी शामिल हुए। भारत के जिन 6 छात्रों ने गोल्ड मेडल प्राप्त किया है, उसमें बिहार का अर्णव आदित्य सिंह भी शामिल है।

विलियम जोंस के रिसर्च को गलत ठहराया

शुरू से ही मेधावान रहे अर्णव आदित्य सिंह के पिता कंप्यूटर इंजीनियर सियाराम सिंह और अर्णव से जब टेलीफोन से बातचीत की गई तो इस सफलता के पिछे पूरे परिवार का साथ और अर्णव के कड़ी मेहनत का होना मानते है। जबकि अर्णव ने बताया कि वह सर विलियम जोंस के 236 साल पहले किए गए दावों को सही नहीं मानते हैं।कड़ी मेहनत और पढ़ाई के बलबूते सफलता की शिखर को छुने का जज्बा शुरू से ही बिहारी छात्रों में रहा है। चाहे वो यूपीएससी की परीक्षा हो या बीपीएससी की परीक्षा, सब में अपनी काबिलियत के बल पर परचम लहराते रहे है।

आरा से आकाश की रिपोर्ट

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