NEWSPR?PATNA DESK : झारखंड के सत्ताधारी दलों की राजनीति पिछले 10 दिनों से दिल्ली और रांची की चक्कर काट रही है l अभी चार दिन पहले दिल्ली से लौटकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सह राज्य के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव रांची पहुंचे ही थे कि कांग्रेस पार्टी के चार विधायकों इरफ़ान अंसारी, उमाशंकर अकेला, राजेश कश्यप और ममता देवी ने दिल्ली में डेरा जमा लिया l सभी नेताओं के दिल्ली दौरे का एकमात्र मकसद है झारखंड सरकार में खाली 12 वें मंत्री के बर्थ और बोर्ड-निगमों के साथ 20 सूत्री कार्यान्वयन समिति पर दावेदारी l
भले ही दिल्ली में ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पिछले बुधवार को ही यह घोषणा कर दी कि अभी मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं होगा, लेकिन कांग्रेस विधायक मंत्री पद को लेकर ललायित हैं l कांग्रेस पार्टी के नेता इसे लेकर एक तरह से हेमंत सरकार पर दवाब बनाने का प्रयास कर रहे हैं l लाख टके का सवाल यह है कि क्या कांग्रेस पार्टी झारखंड में झामुमो के नेतृत्व में चल रही हेमंत सरकार से मोलभाव करने की स्थिति में है ? इस सवाल का जवाब जानने के लिए कई विषयों पर गौर करना पड़ेगा l
चार वर्षों से नहीं हुआ है झारखंड कांग्रेस का सांगठनिक विस्तार
झारखंड कांग्रेस की स्थिति यह है कि पिछले चार वर्षों से सांगठनिक विस्तार नहीं हुआ है l पहले डॉ अजय प्रदेश अध्यक्ष हुआ करते थे. विधिवत कमेटी बनाये बगैर ही उन्होंने पार्टी का दामन थाम लिया l हालांकि बाद में फिर कांग्रेस में आ गए l उनके बाद झारखंड कांग्रेस की कमान रामेश्वर उरांव के हाथ में आयी, लेकिन वह भी अब तक पार्टी की प्रदेश कमेटी नहीं बना पाये है l इस मुद्दे पर पूछे जाने पर उनका जवाब होता है कि कोरोना के कारण सांगठनिक विस्तार नहीं हुआ है l
सवाल यह है कि क्या कोरोना किसी राजनीतिक दल को संगठन विस्तार में भी बाधक बन सकता है? अन्दर की खबर यह है कि झारखंड कांग्रेस में अंदरूनी कलह इतना हावी है कि पिछले चार वर्षों से कोई भी प्रदेश अध्यक्ष कमेटी बनाकर बिरनी के छत्ते में हाथ ही नहीं डालना चाहते l यही वजह है कि कांग्रेस संगठन चंद नेता मिलकर चला रहे हैं. लगातार संगठन विस्तार को लेकर मांग भी उठती है l पार्टी के विधायक भी सांगठनिक विस्तार नहीं होने पर नाराजगी जाहिर कर चुके हैं l
कांग्रेस का पक्ष – हमारे पास तो हैं 16 विधायक
झारखंड अलग राज्य बनने के बाद इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के सबसे ज्यादा 16 विधायक चुनाव जीतकर आये हैं l सरकार पर 12 वें मंत्री के पद को लेकर कांग्रेस इस आधार पर दबाव बना रही है कि उनके पास 16 विधायक और झाविमो से टूटकर आये दो विधायक हैं l सच्चाई यह है कि यदि चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी का झामुमो और राजद के साथ गठबंधन नहीं होता तो वह डबल डिजिट पार कर पाती या नहीं, इसपर भी संदेह था l हेमंत सोरेन को यह बखूबी पता है कि कांग्रेस अभी इस स्थिति में नहीं है कि वह उनकी सरकार को अस्थिर कर सकती है l
यदि यह कहा जाय कि हेमंत सोरेन मजबूती के साथ सरकार चलाने में सक्षम हैं तो कोई अतिशियोक्ति नहीं होगी l सरकार में रहने के कारण ही कांग्रेस पार्टी में चहल-पहल दिखाई दे रही है l बंगाल चुनाव में झामुमो ने ममता बनर्जी का समर्थन किया जबकि वहां कांग्रेस भी चुनाव लड़ रही थी, लेकिन झारखंड कांग्रेस के किसी नेता या राष्ट्रीय स्तर के किसी कांग्रेसी का इसपर कोई बयान नहीं आया l
कांग्रेस में एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति
पहली बात तो यह है कि झामुमो किसी भी कीमत पर कांग्रेस पार्टी को 12 वें मंत्री का बर्थ नहीं देगा l इसके बाद भी यदि किसी तरह से झामुमो और कांग्रेस में बात बनती है तो मंत्री पद को लेकर कांग्रेस पार्टी में एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति है l इस मामले को लेकर सबसे ज्यादा मुखर जामताड़ा विधायक इरफ़ान अंसारी हैं. लेकिन अल्पसंख्यक कोटे से हेमंत सरकार में दो-दो मंत्री हैं और दोनों ही संथाल से हैं l उनके पक्ष में कोई समीकरण बनता नहीं दिख रहा है l
यही वजह थी कि जब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दिल्ली में थे तो इस बात को उछाला गया था कि विल्सन कोंगाडी को कांग्रेस कोटे से मंत्री बनाया जा सकता है l इसके पीछे वजह यह थी कि कांग्रेस एक समुदाय को साधने के नाम पर झामुमो से बारगेन कर सके l यहां भी कांग्रेस की दाल नहीं गली. तब प्रदेश अध्यक्ष का यह बयान आने लगा कि कैबिनेट विस्तार मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है l अब फिर से कांग्रेस के चार विधायक दिल्ली दरबार पहुंचे हैं l लेकिन जो स्थिति है, इन्हें भी खाली हाथ ही लौटना पड़ सकता है l