NEWSPR DESK: देश के लोगों का अपने देश के पत्रकारों और संस्थानों से जब भरोसा उठ जाये तो समझ लेना चाहिए कि पत्रकार अब चाटुकार और पत्रकारिता शर्मनाक दौर से गुजर रही है. इसकी बानगी किसान आंदोलन में भी देखने को मिल रही है. किसान चाटुकार पत्रकारों और अपनी जमीर गिरवी रख चुके संस्थानों से इस कदर परेशान हैं कि उन्होंने अपना अख़बार लॉन्च कर दिया है. जिसका नाम ‘ट्रॉली टाइम्स’ रखा गया है. अलग से किसानों ने 60 लोगों की टीम बनाई है, जो इसकी देख रेख कर रहे हैं.
आपको बता दें कि कई निजी चैनलों के द्वारा किसानों को लगातार बदनाम करने की कोशिश जारी है. ये नापाक कोशिश वो किसके इशारे पर कर रहे हैं, किसान भी इस बात को अब समझ गए हैं. इसीलिए तो किसानों के आंदोलन से चाटुकार पत्रकारों को खदेड़ा जा रहा है, उन्हें भगाया जा रहा है. आलम ये है कि पत्रकार भी बहरूपिया बन गए हैं. चैनल का लोगो आईडी छिपाकर रिपोर्टिंग कर रहे हैं, फिर भी पकड़े जा रहे हैं. आखिर ये स्थिति उतपन्न क्यों हुई है. उन पत्रकारों को भी सोचने की जरूरत है, जो लोगो आईडी लेकर फिल्ड वर्क के लिए निकल रहे हैं.
गौरतलब है कि किसान ट्रैक्टर और ट्रॉली से ही आंदोलन कर रहे हैं, जिसे लेकर अख़बार का नाम ट्रॉली टाइम्स रखा गया है. अख़बार के पहले पन्ने की हेडलाइन है, जुटेंगे लड़ेंगे और जीतेंगे. अख़बार को बहरहाल हिंदी और पंजाबी भाषा में प्रकाशित किया जा रहा है, और 2000 प्रतियां छापी जा रही हैं.
पटना से चंद्रमोहन की स्पेशल रिपोर्ट