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पत्रकार दानिश सिद्दीकी को जेडीयू ट्रेडर्स प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष संजीव श्रीवास्तव ने दी श्रद्धांजलि, तस्वीरों में देखिये दानिश सिद्दीकी के कैमरे का कमाल

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NEWSPR डेस्क। अफगानिस्तान के कंधार में मारे गये पुलित्जर विजेता फोटोजर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी को आज हर शख्स याद कर रहा है। उन्हें जेडीयू ट्रेडर्स प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष सह प्रवक्ता संजीव श्रीवास्तव ने श्रद्धांजलि दी है, और उन्हें तस्वीरों से सच दिखानेवाले पत्रकार बताया। वैसे तो दानिश सिद्दीकी का अनेक क्षेत्रों में किया गया उनका काम अद्भुत था, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के दौरान उन्होंने कुछ ऐसी तस्वीरें उतारीं, जिन्होंने पूरे सिस्टम की पोलपट्टी भी खोल दी। मानवीय संवेदना को झकझोर कर रख दिया।
दरअसल भारतीय पत्रकार दानिश सिद्दीकी की कंधार में कवरेज के दौरान हत्या हो गई है। जानकारी के मुताबिक उनके शव को तालिबान ने अतंराष्ट्रीय रेडक्रॉस समिति को सौंप दिया है। भारत के अधिकारी उनके शव को भारत लाने का प्रयास कर रहे हैं।

सिद्दीकी को गोली तब लगी जब वह तालिबान और अफगान सैनिकों के बीच चल रहे गोलीबारी को कवर कर रहे थे। उनके साहस का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि न तो वह युद्ध के मैदान से डरे और न ही कोरोना जैसी महामारी से । बीते साल जामिया में जब हिंसा हुई थी तब वह बंदूकधारी युवक के बिल्कुल सामने से फोटो खींच रहे थे। आज वह तस्वीर चर्चा का विषय है । वह जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र भी रहे हैं।

 

जितनी वायरल फ़र्स्ट वेव के दौरान पिछली तस्वीर हुई थी, उतनी ही ये तस्वीर दूसरी वेव के दौरान हुई. भारत में आई कोविड-19 महमारी की दूसरी वेव. इस तस्वीर को कई अंतरराष्ट्रीय न्यूज़ पोर्टल्स ने जगह दी. साफ़ दिख रहा है कि एक साथ कितनी चिताएं जल रही हैं. और दिख रही है कोरोना महामारी कि विभीषकता. (तस्वीर: रॉयटर्स)

 

तस्वीर बिहार के भागलपुर के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज की है। अस्पतलाल कॉरिडोर में एक महिला स्ट्रेचर पर लेटे पति को थामे खड़ी है। यह तस्वीर 7 जुलाई को 2020 को खींची गई थी।

 

यह तस्वीर भी दिल्ली की है। एक श्मशान में सामूहिक अंतिम संस्कार का इंतजाम किया जा रहा है। यह तस्वीर उस वक्त की है जब कोरोना इतने लोगों की जान ले रहा था कि न तो अस्पताल में जगह थी और न ही श्मशान में

 

दिल्ली के रिहायशी इलाके के बीच एक श्मशान जो चिता की आग से चमक रहा है। दानिश ने यह तस्वीर ड्रोन से खींची थी।

 

यह तस्वीर 29 अप्रैल 2020 की है। दिल्ली के एक श्मशान में एक हेल्थवर्कर खड़ा है जो कि सीआरपीएफ के एक अधिकारी को दफनाने जा रहा है। अधिकारी की कोरोना से मौत हो गई है।

 

इस तस्वीर में एक बच्चा मुंबई के एक खेल के मैदान में अभ्यास सत्र के दौरान मलखंभ कर रहा है. दानिश ने 13 सितंबर 2010 को ये तस्वीर खींची थी. मलखंभ लकड़ी का बना एक प्रकार का खंभा होता है, जिस पर फुर्ती से चढ़ते-उतरते हुए अलग-अलग प्रकार की कसरत की जाती है. ये पारंपरिक भारतीय जिम्नास्टिक और मार्शल आर्ट का एक संयोजन है. 12वीं शताब्दी से चला आ रहा है. सदियों से ये खेल निष्क्रिय और इग्नोर्ड रहा. लेकिन हाल के सालों में इसे लोकप्रियता मिली है. (तस्वीर: रॉयटर्स/दानिश सिद्दीकी)

 

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तस्वीर भारत में आई कोरोना वायरस की फ़र्स्ट वेव के समय की है. ये शायद उस समय सबसे ज्यादा वायरल हुई तस्वीरों में से एक है, जो लॉकडाउन की वजह से विस्थापन के लिए मजबूर हुए लोगों का दर्द बयां करती है. (तस्वीर: रॉयटर्स)

 

तस्वीर 27 अगस्त, 2015 की है. नासिक शहर में गोदावरी नदी के किनारे स्थित त्र्यंबकेश्वर में आयोजित कुंभ मेले की. एक जुलूस से पहले अपने शिविर में एक नागा साधु राख लगा रहा है. (तस्वीर: रॉयटर्स)

 

मुंबई. 16 जून, 2016. अमेरिका के ऑरलैंडो (फ्लोरिडा) शहर के ‘पल्स गे नाइटक्लब’ में शूटिंग के पीड़ितों की याद में एक मुंबईकर इंद्रधनुषीय झंडे के पीछे खड़ा है. ये झंडा दुनियाभर में LGBTQ राइट्स का प्रतिनिधित्व करता है. (तस्वीर: रॉयटर्स)

 

तस्वीर अफगानिस्तान के कंधार प्रांत की है. तारीख़- 12 जुलाई, 2021. तालिबान के खिलाफ जारी युद्ध अभियान के दौरान एक गांव में घरों की तलाशी के दौरान अफगान विशेष बल के सदस्य बाहरी गतिविधियों पर नज़र रख रहे हैं. अफगानिस्तान सेना के इसी प्रोजेक्ट के दौरान दानिश की मृत्यु हुई. (तस्वीर: रॉयटर्स)

 

तस्वीर दिल्ली–यूपी बॉर्डर की है. 11 जनवरी, 2021. नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे कृषकों के लिए उनके साथी कंबल–दरी की व्यवस्था कर रहे हैं. (तस्वीर: रॉयटर्स)

 

आपने कई खबरों में इस तस्वीर को देखा होगा. दानिश ने 10 अगस्त 2012 को इसे खींचा था. इसमें जन्माष्टमी के मौके पर मटकी फोड़ने के लिए गोविंदा ह्यूमन पिरामिड बनाने की कोशिश कर रहे हैं. (रॉयटर्स)

 

तस्वीर 11 सितंबर, 2017 की है. शाह पोरिर द्वीप की. ये तस्वीर पुलित्ज़र पुरस्कार पाई तस्वीरों में से एक है. इसमें बांग्लादेश-म्यांमार सीमा पार करने के बाद एक थकी हुई रोहिंग्या शरणार्थी महिला तट को छू रही है. दानिश सिद्दीकी की खींची यादगार तस्वीरों में से एक. (तस्वीर: रॉयटर्स)

 

बीते साल जामिया में जब हिंसा हुई थी तब वह बंदूकधारी युवक के बिल्कुल सामने से फोटो खींच रहे थे। आज यह तस्वीर चर्चा का विषय है ।

 

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