NEWSPR डेस्क। टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा यानि जेआरडी टाटा की आज जयंती है। इस मौके पर जेडीयू ट्रेडर्स प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष संजीव श्रीवास्तव ने उन्हें श्रद्दांजलि दी।
जेआरडी टाटा को भला कौन नहीं जानता। उद्योग जगत में टाटा ने एक अलग छाप छोड़ी है। इसमें जेआरडी टाटा की महत्वपूर्ण भूमिका है। वे अपने दूदर्शिता से टाटा को बुलंदियों पर ले गये। उन्होंने भारत में सबसे पहल एयरलाइंस की शुरूआत की थो जो बाद में एयर इंडिया बनी। उद्योग विकास में अहम भूमिका भारत जो आज नई बुलंदियां छू रहा है, उसमें हमारे उद्योग क्षेत्र का बेहद बड़ा हाथ है। आधुनिक भारत की औद्योगिक बुनियाद रखने वालों में जेआरडी टाटा का नाम सबसे पहले लिया जायेगा । जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा यानी जेआरडी टाटा ने भारत में इस्पात, इंजीनियरिंग, होटल, एयरवेज और दूसरे उद्योगों के विकास में सबसे अहम भूमिका निभाई।
जेआरडी टाटा का जन्म 29 जुलाई 1904 में पेरिस में हुआ था। वो अपने पिता रतनजी दादाभाई टाटा और माता सुजैन ब्रियर की दूसरी संतान थे। उनके पिता रतनजी टाटा, जमशेदजी टाटा के चचेरे भाई थे। उनकी मां फ्रांस की थी। इसलिये उनका ज्यादातर बचपन फ्रांस में ही बीता। फ्रांस के बाद मुंबई आकर उन्होंने अपनी शुरूआती पढ़ाई की। कैथेड्ल और जॉन कोनोन स्कूल मुंबई से पढ़ाई के बाद उन्होंने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की।
जेआरडी टाटा 1929 में भरात के पहले लाइसेंसधारी पायलट बने। वो सेना में काम करना चाहते थे। फ्रांस की सेना में उन्होंने प्रशिक्षण भी लिया था। लेकिन पिता की मौत के बाद उन्हें बिजनेस संभालना पड़ा। जेआरडी टाटा ने ही भारत में सबसे पहले कमर्शियल विमान सेवा टाटा एयरलाइंस की शुरूआत की। टाटा एयरलाइंस ही आगे चलकर 1946 में एयर इंडिया बन गई। भारत में एयरलाइंस की शुरूआत करने की वजह से ही उन्हें देश की विमान सेवा का पिता भी कहा जाता है।
जेआरडी टाटा कम उम्र में ही कंपनी संभालने लगे थे। 1925 में वो ट्रेनी के तौर पर टाटा एंड संस में काम शुरू किया। लेकिन कड़ी मेहनत और प्रतिभा के बल पर 1938 में वो टाटा एंड संस के अध्यक्ष बन गये। उन्होंने 14 उद्योग समूहों के साथ टाटा एंड संस के नेतृत्व की शुरूआत की थी और अब 26 जुलाई 1988 को उन्होंने अपना पद छोड़ा तो टाटा एंड संस के 95 उद्योगा का विशाल नेटवर्क स्थापित कर चुका था। इस तरह उद्योग क्षेत्र में बाकी लोगों के लिये ये आदर्श बन गये।
जेआरडी टाटा 50 साल से अधिक वक्त तक सहर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टी रहे। 1955 में भारत सरकार ने उनके योगदान के लिये उन्हें पद्म विभूषण सम्मान से नवाजा। 1992 में उन्हें भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न मिला।