NEWSPR डेस्क। देश के 52 शक्तिपीठों में एक माता कात्यायनी मंदिर खगड़िया में है। इस मंदिर में देवी के छठे रूप माँ कात्यायनी की पूजा होती है। मान्यताओं के अनुसार अग्नि में देवी ने जब अपनी आहुति दी थी तो भगवान शिव उनको लेकर तांडव नृत्य करने लगे थे। इसी दौरान माता का हाथ यहां गिरा था। सदियों पहले जब ये इलाका घनघोर जंगल हुआ करता था तो पशुपालक यहां गाय चराने आया करते थे। माता का जहां हाथ गिरा था गाय स्वतः वहां अपना दूध अर्पित करने लगती ,जिसके बाद यहां मंदिर की स्थापना की गई। सोमवार और शुक्रवार को यहां बैरागन लगता है, जिसमे हजारों की संख्या में श्रद्धालु माता की पूजा करने और दूध चढ़ाने यहाँ पहुचते है।
निराशाजनक रवैया
राज्य हो या केंद्र की कई सरकारें आयी और चली गयी लेकिन इस इलाके को आजादी के बाद से अब तक सड़क मुहैया नहीं करवा पाई और लोगों को खतरनाक परित्यक्त रेल पुल पर जान जोखिम में डालकर कोसी और बागमती नदी पार करना नियति बन गयी है। जिसका मलाल यहाँ के लोगों को है।
बहरहाल आस्था के सैलाब के आगे कोई भी बाधा या कठिनाई माता के भक्तों के लिए छोटी पड़ जाती है और श्रद्धालु माता के दरबार में हाजिरी देने पहुँच ही जाते हैं। कात्यानी मंदिर के बारे में ये बात प्रमाणित है जिसने जो मांगा माता ने उसकी झोली भर दी।
खगड़िया से राजीव की रिपोर्ट