खगड़िया जिले का 44वां स्थापना दिवस आज धूमधाम से मनाया गया। जिलाधिकारी के आदेश पर सभी विद्यालयों में प्रभात फेरी निकाली गई। शिक्षक बच्चों को खगड़िया की तरक्की, भौगोलिक और ऐतिहासिक पहलुओं के बारे में बताते रहे। इस मौके पर खगड़िया जिले पर आधारित एक वीडियो क्लिप भी जिला अधिकारी, जिला परिषद अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत की गई।खगड़िया 10 मई 1981 को मुंगेर से अलग होकर जिला बना।
अब इसे 44 साल हो चुके हैं और यह 45वें साल में प्रवेश कर रहा है। खगड़िया को “नदियों का नैहर” कहा जाता है, क्योंकि यहां सात नदियां और 54 धाराएं बहती हैं, जिनमें कोसी, काली कोसी, गंगा और बूढ़ी गंडक जैसी विशाल नदियां शामिल हैं। खगड़िया में कई संगम स्थल हैं, जैसे गोगरी के पास बूढ़ी गंडक और गंगा का संगम।यहां की नदियां समृद्धि और विनाश दोनों का कारण रही हैं, और समय-समय पर जिले को भीषण बाढ़ का सामना करना पड़ा है। खगड़िया में स्थित मां कात्यायनी शक्तिपीठ और अघोरी स्थान जैसे धार्मिक स्थल भी आकर्षण का केंद्र हैं।राजनीतिक रूप से, खगड़िया को रामविलास पासवान जैसे बड़े नेता मिले हैं, जिन्होंने जिले को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। खगड़िया को “फरकिया” भी कहा जाता है, क्योंकि मुग़ल काल में टोडरमल ने यहां के जंगलों और भूमि का पैमाइश नहीं किया था।यहां की दही भी प्रसिद्ध है, और खगड़िया की कृषि में मक्का, गेहूं और केले की भरपूर पैदावार होती है।