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चाचा-भतीजे की लड़ाई में LJP का चुनाव चिन्ह फ्रीज, पार्टी का नाम इस्तेमाल करने पर भी रोक, पशुपति पारस और चिराग पासवान को चुनाव आयोग से झटका

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NEWSPR डेस्क। चुनाव आय़ोग ने लोजपा का चुनाव चिन्ह बंगला को फ्रीज कर दिया है। पशुपति कुमार पारस और भतीजा चिराग पासवान दोनों में से किसी को रामविलास पासवान का बंगला नहीं सौंपा गया। चाचा और भतीजा दोनों के लिए यह एक बड़ा झटका है। अब चिराग या पारस कोई भी इस चुनाव चिन्ह का उपयोग नहीं कर पायेंगे। दोनों में से कोई भी गुट लोक जनशक्ति पार्टी के नाम का भी उपयोग नहीं कर पायेंगे। चुनाव आयोग ने शनिवार को यह आदेश जारी किया है।

चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस दोनों ने चुनाव आयोग के समक्ष अपने अपने दावे रखे. दोनों का दावा रहा कि पार्टी के असली अध्यक्ष वही हैं और उनके नेतृत्व वाले गुट को ही लोजपा की मान्यता मिलनी चाहिये. आयोग ने दोनों के दावों की पड़ताल की थी.

उपचुनाव में नहीं दिखेगा बंगला : इस विवाद के बीच ही बिहार में उपचुनाव की घोषणा हो गयी और दोनों गुट अपने अपने उम्मीदवार को लेकर आयोग के दरबाजे पर पहुंच गये. चुनाव आयोग के समक्ष लोजपा के दोनों गुटों ने ये दावा किया था कि इस चुनाव में उसे लोजपा के नाम और चुनाव चिन्ह के उपयोग की मंजूरी दी जाये.

चुनाव आय़ोग से ये भी आग्रह किया गया था कि वह 8 अक्टूबर से पहले फैसला ले ले ताकि उनके उम्मीदवार पार्टी और चुनाव चिन्ह का उपयोग कर पायें. ऐसे में आयोग ने शनिवार को एक अंतरिम फैसला दिया है. इस फैसले के बाद बिहार की दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में दोनों गुटों को पार्टी के नाम और निशान के उपयोग से रोक दिया गया है. उपचुनाव के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 8 अक्टूबर है.

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चुनाव आयोग का अंतरिम आदेश 
कोई अब लोक जनशक्ति पार्टी के नाम का उपयोग नहीं कर पायेगा

कोई अब चुनाव चिन्ह बंगला का उपयोग नहीं कर पायेगा

लोक जनशक्ति पार्टी से लिंक कर अपने गुट का नाम रख सकते हैं. जैसे लोजपा (चिराग) या लोजपा (पारस)

दोनों अपने लिए नया चुनाव चिन्ह खोज सकते हैं.

तारापुर या कुशेश्वरस्थान में दोनों को नये चुनाव चिन्ह का उपयोग करना होगा.

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