आज से हुई महाकुंभ की शुरुआत, देश विदेश से आए श्रद्धालु

Patna Desk

प्रयागराज में 13 जनवरी से महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है, जो 26 फरवरी 2025 तक चलेगा। इस विशाल आयोजन के कारण संगम की नगरी इन दिनों पूरी दुनिया में सुर्खियों में है, और यहां देश-विदेश से श्रद्धालु आ रहे हैं। यूपी सरकार ने इस अवसर पर श्रद्धालुओं की सुविधाओं को सुनिश्चित करने के लिए तैयारियों को तेज़ कर दिया है। महाकुंभ में जहां भक्त स्नान करने आ रहे हैं, वहीं साधु-संत भी बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। सनातन धर्म में साधु-संतों का विशेष महत्व है, लेकिन महाकुंभ में सबसे ज्यादा ध्यान नागा साधुओं पर केंद्रित है।

नागा साधु महाकुंभ का अभिन्न हिस्सा माने जाते हैं, और उनकी उपस्थिति के बिना इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।नागा साधु अपनी विशिष्ट वेशभूषा और जीवनशैली के कारण आम लोगों से काफी अलग नजर आते हैं, और यही कारण है कि वे महाकुंभ में आकर्षण का केंद्र बने रहते हैं। उनकी जीवनशैली एक रहस्यमय दुनिया से जुड़ी हुई होती है, जो उन्हें और भी दिलचस्प बनाती है। इन साधुओं को विभिन्न अखाड़ों द्वारा संन्यासी बनाया जाता है, और हर अखाड़े की अपनी मान्यताएं और परंपराएं होती हैं, जिनके अनुसार उन्हें दीक्षा दी जाती है। कई अखाड़ों में इन साधुओं को “भुट्टो” के नाम से भी जाना जाता है। नागा संन्यासी बनने की प्रक्रिया बेहद कठिन और लंबी होती है। इस प्रक्रिया की शुरुआत गुरु सेवा से होती है, जिसके बाद ब्रह्मचर्य की शिक्षा दी जाती है। सफलता के बाद महापुरुष की दीक्षा होती है, और फिर उनका यज्ञोपवीत संस्कार होता है। इसके पश्चात वे अपने जीवन में ही खुद और अपने परिवार का पिंडदान करते हैं।

महाकुंभ में स्नान करने के बाद दान का विशेष महत्व है। यह धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। महाकुंभ में संगम के पवित्र जल में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं, लेकिन इसके साथ-साथ दान का भी बहुत बड़ा महत्व है। हिन्दू धर्म में यह माना जाता है कि दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और व्यक्ति का जीवन धन्य होता है।

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