बिहार में रोजगार के अवसर लगातार बढ़ रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 12 लाख युवाओं को नौकरी देने के वादे के तहत राज्य सरकार विभिन्न विभागों में नियुक्ति प्रक्रिया तेज़ी से आगे बढ़ा रही है। इसी क्रम में शिक्षा विभाग ने भी स्कूलों में स्टाफ की कमी को दूर करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की है।शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने राज्य के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को 2206 शिक्षा सेवकों की बहाली प्रक्रिया को 15 जून 2025 तक हर हाल में पूरा करने का सख्त निर्देश दिया है।
स्कूलों में शिक्षा सेवकों की अहम भूमिका-
इस भर्ती के तहत चयनित शिक्षा सेवक स्कूलों में शिक्षकों और प्रशासनिक स्टाफ के सहायक के रूप में काम करेंगे। उनकी जिम्मेदारी में छात्रों की शैक्षणिक सहायता, स्कूल प्रबंधन में सहयोग और आधारभूत सुविधाओं की निगरानी शामिल होगी। इस पहल से ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने का लक्ष्य है।पारदर्शिता और गुणवत्ता पर रहेगा ज़ोरडॉ. सिद्धार्थ ने निर्देश दिया है कि चयन प्रक्रिया पूरी तरह से निष्पक्ष, पारदर्शी और समयसीमा के भीतर संपन्न होनी चाहिए। योग्य और उत्साही उम्मीदवारों को ही प्राथमिकता दी जाएगी, ताकि वे राज्य की शिक्षा व्यवस्था में सकारात्मक बदलाव ला सकें।चयन प्रक्रिया में लिखित परीक्षा, इंटरव्यू और योग्यता के आधार पर उम्मीदवारों का मूल्यांकन किया जाएगा।भर्ती प्रक्रिया इस प्रकार होगी:ऑनलाइन आवेदन: उम्मीदवारों को निर्धारित पोर्टल पर आवेदन करना होगा। आवेदन शुरू होने की तिथि जल्द ही शिक्षा विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर घोषित की जाएगी।परीक्षा और साक्षात्कार: पात्र उम्मीदवारों को लिखित परीक्षा और इंटरव्यू के लिए बुलाया जाएगा।मेरिट लिस्ट और नियुक्ति: अंतिम सूची में स्थान पाने वाले उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र जारी किए जाएंगे।
प्रशिक्षण: जॉइनिंग के बाद सभी शिक्षा सेवकों को उनके कर्तव्यों के अनुरूप प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।रोजगार और शिक्षा दोनों में सुधार की पहलयह भर्ती अभियान राज्य में युवाओं के लिए रोजगार का बड़ा अवसर लेकर आया है, विशेषकर ग्रामीण इलाकों में जहां रोजगार की कमी एक बड़ी समस्या है। इसके अलावा, शिक्षा सेवकों की तैनाती से स्कूलों में शिक्षकों का कार्यभार हल्का होगा और बच्चों को पढ़ाई का बेहतर माहौल मिलेगा।
डॉ. एस. सिद्धार्थ के नेतृत्व में शिक्षा विभाग ने बीते कुछ महीनों में कई बड़े फैसले लिए हैं, जिनमें आधार कार्ड को अनिवार्य करना, शिक्षकों के लिए सेवाकालीन प्रशिक्षण शुरू करना और स्कूलों में पुस्तकालयों के लिए 10 लाख किताबों की व्यवस्था शामिल है।