बिहार: चैत्र नवरात्रि के पहले दिन इस मंदिर में उमड़ा भक्तों का सैलाब, माता के दर्शन पर नेत्र पीड़ा से मिल जाती मुक्ति, जानिए मंदिर का इतिहास

Patna Desk

NEWSPR डेस्क। देश के 52 शक्तिपीठ में से एक मुंगेर के चंडिका स्थान में आज चैती नवरात्र को लेकर श्रद्धालुओं की सुबह से ही भीड़ लगी हुई है। श्रद्धालु बारी बारी से लाइन में लगकर माता के दर्शन कर रहे। यहां की मान्यता ऐसी है की माता के दर्शन मात्र से नेत्र से संबंधित पीड़ा खत्म हो जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देश में 52 शक्तिपीठ हैं और सभी शक्तिपीठों में देवी मां का शरीर का एक हिस्सा गिरा था जिसके कारण पूरे देश में मंदिर का स्थापना किया गया था।

मंदिर के मुख्य पुजारी नंदन बाबा कहते हैं कि भगवान शिव जब राजा दक्ष की पुत्री सती के जलते हुए शरीर को लेकर भ्रमण कर रहे थे। तब सती की बाई आंख यहां गिरी थी। इस कारण यह 52 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। इसके अलावा इस मंदिर को महाभारत काल से जोड़ा जाता। राजा कर्ण मा चंडिका के परम भक्त थे, वह रोज मां के पिंडी के सामने सवा मन सोना दान किया करते थे। पुजारी ने बताया कि यहां माता के दर्शन से श्रद्धालुओं की हर एक मुराद पूरी होती है और जो भक्त नेत्र रोग से ग्रसित होते।

उन्हें यहां के काजल लगा लेने मात्र से ही उनकी पीड़ा दूर हो जाती है। पुजारी ने कहा कि पूर्व में इस मंदिर के आसपास श्मसान थी जिसके वजह से इस जगह को श्मशानी चंडी के नाम से भी जाना जाता है। अन्य दिनों में यहां जो भीड़ होती वो अलग है लेकिन नवरात्रा में यहां भारी भीड़ होती है। उन्होंने कहा कि गंगा पुल में सड़क मार्ग बन जाने से अब बेगुसराय सहित सीमांचल के भी लोग माता के दर्शन करने पहुंच रहे हैं।

मुंगेर से मो. इम्तियाज की रिपोर्ट

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