NEWSPR डेस्क। मशहूर शायर और कवि मिर्ज़ा ग़ालिब जी की आज पुण्यतिथि है। इस मौके पर इस मौके पर जदयू ट्रेडर्स प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष संजीव श्रीवास्तव ने उन्हें नमन करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की है।
ग़ालिब का जन्म आगरा में एक सैनिक पृष्ठभूमि वाले परिवार में हुआ था। उन्होने अपने पिता और चाचा को बचपन में ही खो दिया था, ग़ालिब का जीवनयापन मूलत: अपने चाचा के मरणोपरांत मिलने वाले पेंशन से होता था। ग़ालिब की पृष्ठभूमि एक तुर्क परिवार से थी और इनके दादा मध्य एशिया के समरक़न्द से सन् 1750 के आसपास भारत आए थे। उन्होने दिल्ली, लाहौर और जयपुर में काम किया और अन्त में आगरा में बस गये। उनके दो पुत्र और तीन पुत्रियां थी। मिर्ज़ा अब्दुल्ला बेग ख़ान और मिर्ज़ा नसरुल्ला बेग ख़ान उनके दो पुत्र थे। ग़ालिब की प्रारम्भिक शिक्षा के बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता लेकिन ग़ालिब के अनुसार उन्होने 11 वर्ष की अवस्था से ही उर्दू और फारसी में गद्य तथा पद्य लिखना आरम्भ कर दिया था। उन्होंने अधिकतर फारसी और उर्दू में पारम्परिक भक्ति और सौन्दर्य रस पर रचनाये लिखी जो गजल में लिखी हुई है। उन्होंने फारसी और उर्दू दोनो में पारंपरिक गीत काव्य की रहस्यमय-रोमांटिक शैली में सबसे व्यापक रूप से लिखा और यह गजल के रूप में जाना जाता है।
मिर्ज़ा ग़ालिब उर्दू के अज़ीम शायरों में से एक हैं और शायद ही ऐसा कोई होगा जो ग़ालिब के नाम से नावाक़िफ़ होगा। हालांकि मिर्ज़ा ग़ालिब ने अपनी शायरी में फ़ारसी का बहुत प्रयोग किया इसलिए वह आम-जम की समझ से दूर रहे लेकिन तब भी दिल के क़रीब रहे।