NEWSPR /DESK : रांची:संघ प्रमुख मोहन भागवत के देश और मुसलमान से संबंधित हालिया बयान पर भिन्न-भिन्न प्रतिक्रिया सामने आ रही हैं। कुछ लोग इसका स्वागत कर रहे हैं, साथ ही सवाल भी उठा रहे हैं। वहीं राजनीति से जुड़े लोग इसे कुछ राज्यों में 2022 में होने जा रहे विधानसभा चुनाव से जोड़कर सियासी बयान मात्र बता रहे हैं। भोपाल निवासी मशहूर शायर मंजर भोपाली ने कहा कि संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान का स्वागत होना चाहिए। ये अंधेरी रात में एक ऐसे जुगनू की तरह है जो तिरगी में रोशनी का एहसास दिलाता है। एक शेर भी कहा है: तुम भी बुलबुल हो इस बाग के और हम शाने गुलज़ार हैं
सारी सांसें तुम्हारी नहीं हम भी जीने के हक़दार हैं।अब पढ़िये वरिष्ठ लेखक कर्मेंदु शिशिर का लेख।
कर्मेंदु शिशिर
किसका-किसका डीएनए एक है और किसका अलग यह सब बात करने की नौबत ही क्यों आ रही है? हिन्दुओं के भीतर विभिन्न जातियों का डीएनए ही अगर समझ गये होते तो आज यह स्थिति नहीं आती। अगर मुसलमान सिर्फ़ पूजा पद्धति से ही भिन्न हैं,फिर इसी समझ से अब तक आचरण किये होते तो देश में इतनी अफरा-तफरी नहीं मचती।आपने तो आँख में अँगुली घुसेड़ कर बताया कि तुम वह हो जिसे इस देश में नहीं रहना चाहिए। देशद्रोही हो, पाकिस्तान चले जाओ। यह भाषा कहाँ से आई? किसने इसकी शुरुआत की? किसने इसे फैलाया? अगर गोडसे को देशभक्त बतलाओगे तो यह अलग से बताने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी कि किसका क्या डीएनए है। हम कहते हैं आपके पैदा हुए अब सौ साल होने वाले हैं। इतने साल तक आपने जाति मिटाओ पर ही काम किया होता तो कोई बात बनी होती। यह आज तक न हिन्दू समझ पाये न कोई और कि आपकी इस देश में भूमिका क्या रही? किस बुराई को खत्म किया आपने ?
कभी आपने मुसलमानों के योगदान को सराहा1857 से 1957 के बीच अनेक मुस्लिम नायकों ने अपने बलिदान से देश रचा, आपने एक को भी नायक स्वीकार किया? इस देश में किस -किस इलाके में किस-किस मुसलमान ने क्या रचा, क्या दिया। कभी अपने मुखारविंद से उच्चरित किये? आज तक आप उनको, दलितों को, आदिवासियों को दूसरे दर्जे का नागरिक ही समझते रहे। जब शादी में घोड़े पर बैठने के लिए किसी दलित दूल्हे की हत्या की गयी क्या आपने वहाँ जाकर आमरण अनशन किया? सत्याग्रह किया? छोड़िये न मुसलमान। ये हिन्दुओं के अरबों की संपत्ति वाले संस्थान हैं, तीर्थ स्थल हैं, वहाँ के धार्मिक नेता पापाचार में जेल जाने लगे तो आप क्या कर रहे थे? यह कैसा हिन्दुत्व था?कैसी छवि बन रही थी हिन्दुओं की?आपने इनके खिलाफ आंदोलन किया?
उपदेश मत दीजिए, कुछ बेहतर करके दिखाइये
नवजागरण में ऐसे आंदोलन खूब होते थे। इतना विशाल संगठन लिए हुए हैं, आपने क्यों नहीं नियम बनाया कि अंतर्जातीय विवाह के बाद ही सदस्यता मिलेगी। सिवाय उत्पात, नफ़रत और उन्माद के इस देश ने आपकी कोई दूसरी उपलब्धि देखी ही नहीं। इसलिए उपदेश मत दीजिए, कुछ भी बेहतर करके दिखाइये।अंत में एक बात गाँठ बाँध लीजिए आप चाहे जब तक शासन करें, यह देश ,इस देश की जनता इसको कभी न तो हिन्दू राष्ट्र बनने देगी और न इस्लामी राष्ट्र। गाँधी जी ने भी इस देश को महान् नहीं बनाया, इस देश ने उनको महान् बनाया क्योंकि गाँधी जी इस देश को,इसकी जनता को समझते थे,उन्होंने खुद को इस योग्य बनाया कि इसे और सँवार सकें। आप इस देश को आज तक नहीं समझ सके।अगर समझते तो इसको नहीं, खुद को बदलने की कोशिश करते।