NEWSPR डेस्क। पूर्वी चंपारण में अब एक नई क्रांति व नई मुहिम का शंखनाद हुआ है। जो अपने आप में काफी सराहनीय है। अब तक आपने वृद्ध, विधवा अथवा विकलांग लोगों के पेंशन के बारे में देखा व सुना होगा लेकिन आज हम आपको एक नई पेंशन योजना के बारे मे बताएंगे। जिसे सुनकर आप रोमांचित हो जायेंगे। आपको ये जानकर आश्चर्य होगा की मोतिहारी जिला प्रशासन ने अब यहां के वैसे पेड़ों जिनकी उम्र पचास साल या उससे अधिक की हो गयी है।
उन्हें जिला प्रशासन पेंशन देने जा रही है। यहां एक बड़ी मुहिम व एक बड़े आंदोलन की शुरुआत हो रही है। जिसके अंतर्गत अब जिले के पेड़-पौधों को बचाने, उन्हे संरक्षित करने व उनकी लंबी उम्र के लिए कई तरह की योजनाओं को लेकर तैयारी कर रही है। ताकि मनुष्य को जीवन रूपी ऑक्सीजन देने वाली इन अनमोल धरोहरों को बचाया जा सके। कोरोना महामारी मे पेड़ों के महत्व को समझने वाले चम्पारण वासियों ने अब ठाना है कि अब पुराने व कीमती पेड़ों को बचाना है।
जिसको लेकर अब ये मुहिम आंदोलन का रूप लेने लगी है। इस योजना को सफल करने के लिए जिला प्रशासन दो तरह से कार्य कर रही है। जिसमें एक माधयम डिजिटल तो दूसरा फील्ड माधयम। डिजिटल माधयम से यहाँ के पेड़ों को संरक्षित करने के लिए एक ऐप लॉन्च किया गया है जिसके अंतर्गत पर्यावरण प्रहरी ऐप बनाया गया है। जिसमें पचास साल से अधिक उम्र के 21 प्रजाति के पेड़ों का जियो टैगिंग कर दिया गया है और लोगों को इसकी देख रेख व रखरखाव की जिम्मेवारी दी जा रही है। इसके साथ ही इसमें एक अन्य योजना गार्डियन ऑफ चम्पारण को भी जोडा गया है।
जो यूट्यूब पर भी उपलब्ध है और इसे आप देश के किसी भी कोने मे देख व समझ सकते है। इस योजना मे आप अपने बच्चो, पत्नी माँ बाप या किसी के नाम पर इन पेड़ों को गोद ले सकते है और इनका संरक्षण कर सकते है। इसी योजना के तहत अबतक जिले मे बारह हजार पेड़ों का जियो टैगिंग कर दिया गया है और लगभग तिरपन हजार पांच सौ पेड़ों को इनके संरक्षक को सौप भी दिया गया है।
वहीं अगर फील्ड की बात करें तो इस योजना के अंतर्गत यहाँ के 18 पुराने पेड़ों पर मिट्टी भराई,, व अन्य बचाव रोधी कार्य किये गए है और शिक्षा विभाग की मदद से वृक्ष पाठसाला चलाया जा रहा है जिसमे आम जनो को वृक्ष की अहमियत व अन्य बातो की शिक्षा दी जा रही है। इसके साथ ही जीविका दिदियो के साथ इन पेड़ों का रक्षा बंधन करवाया जा रहा है।
मोतिहारी जिला प्रसाशन ने पेड़ों को बचाने व उन्हे संरक्षित करने का जो प्रयास किया है। निश्चित रूप से काबिलेतारीफ है और शायद अभी तक कोई नेता, जिलाधिकारी नहीं आये है। जो यह काम जिलाधिकारी इसकी जितनी प्रसंसा की जाय वो कम है।
मोतिहारी से धर्मेंद्र कुमार की रिपोर्ट