NEWSPR डेस्क। बीते तीन साल पहले सीतामढ़ी जिले के रुन्नीसैदपुर थाना क्षेत्र से बिना विजा के दो नाइजेरियन नागरिक को गिरफ्तार किया गया था। तब से सोलोमोन अलीग्वियु और युगवुम सिनाची ओनिया मुज़फ़्फ़रपुर जेल में बंद थे। हर साल बिहार के जेलों में लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा जेल प्रशासन के द्वारा कैदियों को पूजा करवाया जाता है. वंही नाइजेरियन नागरिकों ने पूछा तो पता चला कि इस व्रत को करने से लोगों की मनोकामना पूरी होती है. जिसके बाद इस कैदी ने भी अपनी रिहाई के लिए निर्जला 4 दिनों तक चलने वाले छठ व्रत को अपने साथी कैदियों के द्वारा बताई गई विधि के अनुसार किया व जिसके बाद महज चंद दिनों के बाद ही इसकी रिहाई हो गई है जिसके बाद दोनों नाइजेरियन नागरिक खुशी खुसी अपने घर को वापस जा रहे हैं.
आज अपनी रिहाई से जहाँ ये दोनों खुश है वहीं छठ पूजा की वजह से ही और अपनी रिहाई के कारण मान रहे हैं। वापस अपने वतन लौट कर हर साल छठ करने की बात बता रहे है। घर जाते वक्त अपने साथ छठ की धोती और गमछा साथ ले जा रहे हैं। साथ ही पूजा में प्रयोग की जाने वाले अरता को भी साथ ले जा रहे हैं। इसके बरे में उसने बताया कि इसे वो अपने घर के दरवाजे पर लगाएंगे, जो इसके घर और घर वालों की रक्षा करेगी। साथ ही उसने गले मे रुद्राक्ष की माला और कमर में पहने जाने वाले कमरबंद धागा को दिखाया जिसने बताया कि इन चीजों को पहनने के बाद वो जेल में डिप्रेशन से बाहर आ गये।
दरअसल युगवुम सिनाची ओनिया नाम के इस नाइजेरियन नागरिक ने बताया उसने इस साल छठ किया था जबकि उसके साथ में एक और बंद एक नाइजेरियन नागरिक सोलोमोन अलीग्वियु ने पूजा में उसका सहयोग किया था। अपनी टूटी फूटी हिंदी में उन्होंने बताया कि इसी पूजा का फल है कि दोनों को रिहाई मिली है और ये लोग अपने घर वालों से मिलने जा रहे हैं।उन्होंने बताया कि 5 सालों तक लगातार वो छठ करेंगे।
वही इस पूरे मामले में मानवाधिकार अधिवक्ता डॉ एस के झा ने बताया कि वर्ष 2019 में 14 मार्च को नेपाल से भारत आने के क्रम में सीतामढ़ी जिला के रुन्नीसैदपुर थाना पुलिस ने बस में जांच के दौरान पकड़ा गया था और उसके पास से वीजा नहीं मिला जिसके बाद से सीतामढ़ी कोर्ट ने दोनो को 3 साल की सजा सुनाई और मुजफ्फरपुर केंद्रीय जेल में भेज दिया और वहीं सजा काट रहा था।