NEWSPR डेस्क। बिहार की राजधानी पटना में महावीर मंदिर का स्थान देश भर में हनुमान जी को समर्पित पवित्र हिन्दू मंदिरों में से एक है। कहा जाता है, जहां हनुमान जी की युग्म प्रतिमाएं हैं वहां मनोकामना मंदिर मन जाता है। इस मंदिर की गिनती उत्तर भारत के उन प्रसिद्ध मंदिरों में होती है, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं। आपको बता दें कि महावीर मंदिर पटना की खास पहचान नैवेद्यम है। नैवेद्यम को तैयार करने में देशी घी, बेसन, केसर और मेवे का प्रयोग होता है। इसके बाद बने प्रसाद ‘नैवेद्यम’ का भोग भगवान हनुमान को लगता है और इस प्रसाद का स्वाद लोगों को भी बहुत भाता है। इस प्रसाद से लोगों की गहरी आस्था जुड़ी है। लेकिन अब स्वाद के साथ इसकी शुद्धता और पवित्रता का प्रमाण भी मिल गया है।
मंगलवार को पटना जंक्शन महावीर मंदिर में महावीर मंदिर का प्रसाद नैवेद्यम को FSSAI (फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया ) से हाइजनिक भोग का सर्टिफिकेट मिला है। उत्तर भारत का यह पहला मन्दिर है जिसके प्रसाद नैवेद्यम को विशिष्ट गुणवत्ता, स्वाद, सफाई, हाइजीन आदि मानकों पर खरा उतरा है। बिहार के स्वास्थ्य विभाग के अपर सचिव सह खाद्य सुरक्षा के नोडल अधिकारी डाॅक्टर कौशल किशोर के नेतृत्व में खाद्य सुरक्षा की टीम ने महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल को मंदिर प्रांगण में सर्टिफिकेट प्रदान किया गया। अभी तक ओंकारेश्वर, महाकालेश्वर समेत देश के चुनिंदा मंदिर के प्रसाद को यह सर्टिफिकेट मिला है।
किशोर कुणाल ने बताया कि 22 अक्टूबर 1992 से महावीर मंदिर में नैवेद्यम की शुरुआत की गई थी। तिरुपति के 75 कारीगर गाय के घी, चना दाल, किसमिस, इलायची से उच्च मानकों का पालन करते हुए नैवेद्यम प्रसाद बनाते करते हैं। मंदिर में प्रत्येक महीने औसतन 83 हजार किलो नैवेद्यम की बिक्री होती है, जिसे हनुमान जी को चढ़ाने के बाद ही खाया जाता है।
पटना से स्वप्निल सोनल की रिपोेर्ट